CDS रावत को 'फासीवादियों का भाड़े का तानाशाह' कहने वाले के खिलाफ दर्ज FIR को हाई कोर्ट ने किया रद्द
CDS रावत को 'फासीवादियों का भाड़े का तानाशाह' कहने वाले के खिलाफ दर्ज FIR को हाई कोर्ट ने किया रद्द
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चेन्नई: देश के पहले CDS जनरल बिपिन रावत की मौत को लेकर फेसबुक पर विवादित टिप्पणी करने वाले के खिलाफ दर्ज की गई FIR को मद्रास उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया है। बता दें कि CDS जनरल रावत का निधन दिसंबर 2021 में हेलीकॉप्टर क्रैश में हो गया था। उच्च न्यायालय ने उनकी मृत्यु के बाद किए गए पोस्ट को निंदनीय तो माना, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि यह भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत अपराध नहीं है। बता दें कि 8 दिसंबर 2021 एक फेसबुक पोस्ट में तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले के जी. शिवराजाबूपति ने ने लिखा था कि 'फासीवादियों के भाड़े के तानाशाह बिपिन रावत के लिए आँसू बहाना शर्म की बात है।' 

नागरकोइल साइबर क्राइम पुलिस ने 15 दिसंबर 2021 को इस मामले में FIR दर्ज की थी। FIR में पोस्ट लिखने वालों के साथ उसे शेयर करने वाले कुल 15 लोगों को आरोपित बनाया गया था। यह मामला 153, 505 (2) और 504 IPC के तहत दर्ज किया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, तमिलनाडु पुलिस की इस FIR को आरोपी जी. शिवराजाबूपति ने 482 CRPC के तहत रद्द करने की अपील उच्च न्यायालय से की थी। न्यायमूर्ति जीआर स्वामीनाथन की एकल पीठ ने FIR को यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि यह पोस्ट निंदनीय तो है, मगर IPC के तहत एक अपराध नहीं है। न्यायमूर्ति स्वामीनाथन ने कहा कि, 'निश्चित तौर पर याचिकाकर्ता का व्यव्हार तमाम लोगों की भावनाओं को आहत करने वाला है। उसका फेसबुक पोस्ट शर्मनाक है। मगर इसका फैसला निर्धारित मानदंड के आधार पर होना चाहिए। प्रमुख सवाल ये है कि क्या किया गया कृत्य संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है? अगर नहीं तो FIR निरस्त की जानी चाहिए। शिकायत का अधिकार सिर्फ पीड़ित के पास होगा। इस मामले में सोशल मीडिया के जरिए किसी के खिलाफ एक असभ्य टिप्पणी करने से IPC की धारा 153 (दंगे भड़काने की कोशिश) की स्थिति नहीं होगी।”

अदालत ने कहा कि, 'आरोपित के फेसबुक पोस्ट द्वारा पीड़ित को सीधे तौर पर अपमानित नहीं किया गया है। यह पोस्ट उसके फेसबुक फ्रेंड्स के लिए थी। हालाँकि, इसे कोई भी एक्सेस कर सकता है। पोस्ट 8 दिसम्बर को किया गया और शिकायत 15 दिसम्बर को दर्ज की गई  है। हो सकता है कि शिकायतकर्ता ने इसे खुद संयोग से देखा हो या किसी ने उसे दिखाया हो। इसलिए आरोपित पर IPC की धारा 504 भी लागू नहीं होती।' 2 वर्गो के बीच दुश्मनी फैलानी IPC की धारा 506 (2) पर जज का कहना था कि, 'याचिकाकर्ता की पोस्ट में 2 ग्रुप नहीं शामिल हैं। न ही उसमें धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा, जाति या समुदाय का कोई जिक्र है। इसमें एक ग्रुप को दूसरे ग्रुप के खिलाफ खड़ा करने की कोशिश जैसा भी कुछ नहीं है। इसलिए इस मामले में याचिकाकर्ता को सजा देने का आधार नहीं बन रहा।'

न्यायमूर्ति स्वामीनाथन ने आगे कहा कि, 'याचिकाकर्ता CDS जनरल रावत की विरासत की आलोचना के हकदार तो है, मगर उनकी आलोचना का तरीका तमिल संस्कृति के अनुरूप नहीं है। मेरी इच्छा है कि याचिकाकर्ता महाभारत के उस आखिरी अध्याय को पढ़े जब सभी पात्र मर चुके हैं और युधिष्ठिर जाने वाले अंतिम बचे हैं। स्वर्ग में प्रवेश के दौरान वे वहाँ दुर्योधन को देख कर हैरान रह गए। वे गुस्से में आकर दुर्योधन को अपशब्द बोलने लगे। तब उन्हें नारद ने ऐसा करने से टोका और समझाया कि, स्वर्ग में रहते हुए सभी शत्रुता ख़त्म हो जाती है। दुर्योधन के संबंध में ऐसा न कहो। हालाँकि मैं याचिकाकर्ता के वैचारिक बैकग्राउंड से परिचित नहीं हूँ। शायद उसे राष्ट्रीय महाकाव्यों से एलर्जी है।'

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