मद्रास : तमिलनाडु में भगवान के दर्शन के लिए अब एक खास तरह की ड्रेस पहननी होगी, जो पूजा-अर्चना के लिए परफेक्ट हो। मद्रास हाइ कोर्ट ने मंदिरों में दर्शन के लिए ड्रेस कोड लागू करने का फैसला लिया है। इस संबंध में कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार और हिन्दू धार्मिक एवं धर्मार्थ धर्मादा विभाग को सूचित किया है। इस आदेश का मकसद आध्यात्मिक माहौल को बढ़ावा देना है।
रासू द्वारा तिरुचिरापल्ली जिले स्थित श्री शेनबागा विनायागर मंदिर में आदल पादल प्रोग्राम (नृत्य एवं संगीत) के लिए पुलिस सुरक्षा एवं अनुमति की मांग को लेकर दायर की गई एक याचिका का निपटान करते हुए न्यायाधीश एस वैद्यनाथन ने कहा कि हमें सार्वजनिक पूजा के लिए ऐसी ड्रेस पहननी चाहिए, जो आम तौर पर उचित समझी जाती हो।
मुस्लिम समुदाय मस्जिद में प्रवेश से पहले अपने ड्रेस पर काफी ध्यान देते है। इसलिए तमिलनाडु में भी मंदिरों में पूजा-अर्चना के लिए आने वाले भक्तों के लिए ड्रेस निर्धारित होनी चाहिए, इससे भक्तों में आध्यात्मिक माहौल बढ़ेगा। न्यायमूर्ति का कहना है कि विभाग को ड्रेस कोड लागू करने पर विचार करना चाहिए। इसके तहत पुरुषों के लिए पुरुषों के लिए ऊपरी कपड़ों के साथ धोती या पायजामा अथवा औपचारिक पैंट एवं कमीज तथा महिलाओं के लिए ब्लाउज के साथ साड़ी या अर्ध साड़ी, ऊपर पहने गए कपड़े के साथ चूड़ीदार तथा बच्चों के लिए पूरी तरह शरीर को ढकने वाली ड्रेस होनी चाहिए।
कोर्ट ने कहा है कि यह ड्रेस कोड 1 जनवरी 2016 से लागू होना चाहिए। सरकार को भी इस मामले में जल्द फैसला लेने को कहा गया है। इससे पहले बनारस में भी काशी विश्वनाथ के दर्शन के लिए मंदिर कमेंटी ने श्रद्धालुओं को साड़ी पहनने का आदेश दिया था। जिसके लिए मंदिरों में चेंजिंग रुम बनाए जाएँगे और मंदिर प्रशासन ही साड़ियाँ भी उपलब्ध कराएगा।