नई दिल्ली: पूर्व राज्यसभा उपसभापति और केंद्र सरकार में अल्पसंख्यक मंत्री रहीं नजमा हेपतुल्ला ने अपनी आत्मकथा "इन परश्यू ऑफ डेमोक्रेसी, बियॉन्ड पार्टी लाइन्स" में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लेकर अहम खुलासे किए हैं। उन्होंने 1999 में अंतरसंसदीय संघ (IPU) की अध्यक्ष बनने के अनुभव साझा किए और बताया कि इस उपलब्धि पर जब उन्होंने सोनिया गांधी को बधाई देने के लिए फोन किया, तो उन्हें निराशा हाथ लगी।
नजमा ने लिखा कि सोनिया गांधी उनकी नेता थीं, इसलिए उन्होंने उन्हें बर्लिन से फोन किया। फोन पर मौजूद कर्मचारी ने कहा कि सोनिया गांधी व्यस्त हैं और उन्हें होल्ड पर रखा। वह एक घंटे तक लाइन पर इंतजार करती रहीं, लेकिन सोनिया ने उनसे बात नहीं की। नजमा ने इसे बेहद निराशाजनक बताया, खासकर तब, जब उन्होंने IPU की अध्यक्षता के लिए सोनिया गांधी से पहले अनुमति ली थी और उन्हें इस फैसले का समर्थन भी मिला था। उन्होंने इस मौके को अपने जीवन का सबसे बड़ा पल बताया। उन्होंने कहा कि भारत की संसद से दुनिया की संसद तक पहुंचना उनके लिए गर्व का विषय था। नजमा ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को फोन पर यह खुशखबरी दी। अटल जी ने तुरंत उनसे बात की और इसे देश के लिए गर्व का क्षण बताया। उन्होंने कहा कि एक मुस्लिम महिला का इस पद तक पहुंचना भारत के लिए सम्मानजनक है। वाजपेयी ने उन्हें भारत लौटने पर जश्न मनाने का भरोसा भी दिया।
नजमा ने यह भी बताया कि वाजपेयी ने उनके पद को कैबिनेट मंत्री के बराबर कर दिया और 1 करोड़ रुपये का बजट उन देशों की यात्रा के लिए मंजूर किया, जहां IPU के फंड नहीं पहुंचते थे। इसके अलावा, वसुंधरा राजे और अन्य सांसदों ने उनके लिए पार्टी का आयोजन किया। अपनी आत्मकथा में नजमा ने सोनिया गांधी के काम करने के तरीके की आलोचना की। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी और नेताओं के बीच कई लेयर बन गए थे। 10 जनपथ में किसी से सीधे संपर्क करना मुश्किल हो गया था, और संदेश पहुंचाने के लिए क्लर्क स्तर के कर्मचारियों से संपर्क करना पड़ता था। उन्होंने इंदिरा गांधी का जिक्र करते हुए कहा कि इंदिरा जी के समय ऐसा नहीं था। उनसे मिलने के रास्ते हमेशा खुले रहते थे।
गौरतलब है कि सोनिया गांधी से अनबन के कारण नजमा हेपतुल्ला ने कांग्रेस छोड़ दी थी और 2004 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गईं। बाद में उन्हें मोदी सरकार में अल्पसंख्यक मंत्री बनाया गया। उन्होंने इस दौरान पार्टी के प्रति अपने योगदान और अनुभवों को भी साझा किया।