आप सभी को बता दें कि आज से यानी 7 जुलाई से मंगला गौरी व्रत शुरू हो रहा है. इसी के साथ धर्म शास्त्रों के अनुसार अविवाहितों के अलावा यह व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए भी सौभाग्यशाली माना जाता है. जी दरअसल इस दिन माता मंगला गौरी यानी पार्वती की पूजा करके मंगला गौरी की कथा सुनने से लाभ होता है. इसके अलावा इस दिन माता मंगला की आरती और मंगला गौरी स्त्रोत का पाठ करना चाहिए. आज हम आपको वही बताने जा रहे हैं.
मंगला गौरी स्तोत्र -
ॐ रक्ष-रक्ष जगन्माते देवि मङ्गल चण्डिके.
हारिके विपदार्राशे हर्षमंगल कारिके..
हर्षमंगल दक्षे च हर्षमंगल दायिके.
शुभेमंगल दक्षे च शुभेमंगल चंडिके..
मंगले मंगलार्हे च सर्वमंगल मंगले.
सता मंगल दे देवि सर्वेषां मंगलालये..
पूज्ये मंगलवारे च मंगलाभिष्ट देवते.
पूज्ये मंगल भूपस्य मनुवंशस्य संततम्..
मंगला धिस्ठात देवि मंगलाञ्च मंगले.
संसार मंगलाधारे पारे च सर्वकर्मणाम्..
देव्याश्च मंगलंस्तोत्रं यः श्रृणोति समाहितः.
प्रति मंगलवारे च पूज्ये मंगल सुख-प्रदे..
तन्मंगलं भवेतस्य न भवेन्तद्-मंगलम्.
वर्धते पुत्र-पौत्रश्च मंगलञ्च दिने-दिने..
मामरक्ष रक्ष-रक्ष ॐ मंगल मंगले.
..इति मंगलागौरी स्तोत्रं सम्पूर्णं..
मंगला गौरी व्रत की आरती -
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता ब्रह्मा सनातन देवी शुभ फल कदा दाता.
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता..
अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता.
सिंह को वाहन साजे कुंडल है, साथा देव वधु जहं गावत नृत्य करता था.
सतयुग शील सुसुन्दर नाम सटी कहलाता हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता.
शुम्भ निशुम्भ विदारे हेमांचल स्याता सहस भुजा तनु धरिके चक्र लियो हाता.
सृष्टी रूप तुही जननी शिव संग रंगराता नंदी भृंगी बीन लाही सारा मद माता.
देवन अरज करत हम चित को लाता गावत दे दे ताली मन में रंगराता.
मंगला गौरी माता की आरती जो कोई गाता सदा सुख संपति पाता.
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