आजकल शारदीय नवरात्रि चल रही है और इसमें हर दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूप की पूजा पूरे विधि-विधान से करते है। ऐसे में नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा के सातवें अवतार मां कालरात्रि की पूजा की जाती है और इस बार उनका सांतवा दिन 5 अक्टूबर को है. जी हाँ, ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं मां कालरात्रि की पूजा की विधि जो आपको जाननी चाहिए, क्योंकि अगर माँ का पूजन सही से ना हो तो व्यक्ति से माँ नाराज हो सकती हैं और उसके जीवन में खराब स्थति आ सकती है. आइए जानते हैं माँ की पूजा विधि.
पूजा विधि - मां कालरात्रि की पूजा ब्रह्ममुहूर्त में ही करते हैं और इसी के साथ इस दिन तांत्रिक मां की पूजा आधी रात में करते हैं। ऐसे में इस दिन माँ के पूजन को करने के लिए सूर्योदय से पहले ही उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं. वैसे तो मां कालरात्रि के पूजन के लिए विशेष कोई विधान नहीं है लेकिन फिर भी इस दिन आप एक चौकी पर मां कालरात्रि का चित्र स्थापित करें.
अब इसके बाद मां कालरात्रि को कुमकुम, लाल पुष्प, रोली आदि चढ़ाएं और माला के रूप में मां को नींबुओं की माला पहनाएं और उनके आगे तेल का दीपक जलाकर उनका पूजन करें. अब इसके बाद माँ को लाल फूल अर्पित करें, साथ ही गुड़ का भोग लगाएं। ध्यान रहे इसके बाद मां के मन्त्रों का जाप करें या सप्तशती का पाठ करें और इसके बाद मां की कथा सुनें और धूप व दीप से इनकी आरती उतारें. अब आरती उतारने के बाद मां को प्रसाद का भोग लगाएं और मां से जाने अनजाने में हुई भूल के लिए क्षमा मांगें. इसके बाद भोग लगाये गए गुड़ का आधा भाग परिवार में बांटें और बाकी आधा गुड़ किसी ब्राह्मण को दान कर दें. ध्यान रहे काले रंग का वस्त्र धारण करके या किसी को नुकसान पंहुचाने के उद्देश्य से पूजा ना करें वरना माँ आपसे नाराज हो जाएगी.
नवरात्र में नायरा की खूबसूरती देख कार्तिक के मुँह से निकल जाएगा यह शब्द, वेदिका होगी गुस्सा!
'ये रिश्ता...' के सेट से सामने आई नवरात्रि स्पेशल महाएपिसोड की तस्वीरें
नवरात्रि खत्म होने से पहले कर लें सिन्दूर का यह छोटा सा टोटका, बना देगा करोड़ों का मालिक