प्यार का त्यौहार वेलेंटाइन डे
प्यार का त्यौहार वेलेंटाइन डे
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प्रेम यानी प्यार....मुहब्बत....इश्क़...जाने कितने लफ़्ज़ों में जीते है सिर्फ एक अहसास को. सिर्फ एक पल में जी जाते है जाने कितने अहसास प्यार करने वाले. लेकिन यह भी सच है की प्यार की शिद्दत वही जान सकता है जिसने कभी प्यार किया हो....प्यार जिया हो. प्यार के मायने वही समझ सकते है जिन्होंने कभी किसी को दिल दिया हो. वरना यूँ ही लोग मुमताज़ महल को याद नहीं करते.....यूँ ही लैला मजनू शीरी फरहाद की बाते नहीं किया करते.यूँ ही सितारे आसमान पर नहीं खिलते ....कवि  और शायर यूँ ही नहीं लिख देते....

मेरे महबूब की आँखों में रौशनी से चिराग जलते है..
वो जो शरमा कर पलके झुका ले तो तो शाम हो जाती है.

ये तो हद होती है मुहब्बत की जहाँ जो जिससे प्यार करता है उसे पाता है या नहीं पर खुद खो जाता है....जहाँ इश्क़ जिंदगी भर का साथ नहीं उम्र भर की तन्हाई दे जाता है.यही इन्तहा है मुहब्बत की मुहब्बत करने वालो की.इसीलिए तो कहते है की ..

पहला प्यार एक भीगा कागज होता है ..
जिसपर ना अगली कहानी लिखी जा सकती है और ना पिछली पढ़ी जा सकती है.

कोई प्यार में दीवानगी की हद को पार कर जाता है. तो किसी के लिए प्यार जीने का सबब बन जाता है. यूँ तो हर दिल में प्यार बसता है, ये अलग बात है की इसके अहसास और इज़हार जुदा-जुदा होते है. कहते है की 

हर लम्हा एक तारीख बन जाता है गर प्यार में जिया जाये.
जिसे चाहो उस पर मरा जा सकता है गर शिद्दत से चाहा जाये.

प्यार एक खूबसूरत जज़्बा है जो हर दिल में एक खुशबू की तरह बसता है. बस कई लोग इसकी खुशबू में खो जाते है और कई लोग इसकी खुशबू को पहचान नहीं पाते. प्यार को पाना तो सभी चाहते है पर इसे जीना कोई नहीं जानता. इस बात को कोई नहीं समझता की प्यार पाने का नाम नहीं है बल्कि प्यार तो नाम है विश्वास का ,समर्पण का, और त्याग का. ये कोई ज़रूरी नहीं की जिससे आप प्यार करे वो आपको मिल ही जाये. पर ऐसे में प्यार कम तो नहीं हो जाता. दिन रात फिर दिन, हर पल, हर लम्हे के साथ ये तो बढ़ता जाता है .

ये भी ज़रूरी नहीं की जिसे आप प्यार करे वो भी आपको प्यार करे ,तो क्या ऐसे में आपका प्यार कम हो जाना चाहिए?लेकिन अगर आपका प्यार कम हो गया तो वह प्यार नहीं कहलायेगा.वो सिर्फ एक चाहत कहलाएगी.प्यार तो वह होता है की भले ही आपको प्यार के बदले प्यार मिले या ना मिले वो बढ़ता ही जाये बिलकुल ऐसे....

"पात पात झड़ चले 
पंछी सब उड़ चले
साये ने पनाह ली 
दूसरे दरख़्त तले
किन्तु कही दूर उगी 
एक लता प्यार पगी 
तने से लिपटी रही 
सूखने के वृक्ष के 
सूख कर स्वयं भी"

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