क्या आप जानते हैं माँ लक्ष्मी के लिए रो दिए थे भगवान विष्णु!, बड़ी रोचक है कथा
क्या आप जानते हैं माँ लक्ष्मी के लिए रो दिए थे भगवान विष्णु!, बड़ी रोचक है कथा
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भगवान विष्णु से जुडी कई कहानियां और कथाएं हैं जो आप सभी ने सुनी और पढ़ी होंगी लेकिन आज हम आपको एक ऐसी कथा बताने जा रहे हैं जो आपको हैरान कर जाएगी। जी दरअसल यह कथा उस वक्त की है जब मां लक्ष्मी की वजह से भगवान विष्णु की आंखों में आंसु आए थे। जी हाँ, सुनकर आपको यकीन तो नहीं हो रहा होगा लेकिन यह सच है।

एक कथा के अनुसार- एक बार भगवान जी शेषनग जी पर बैठे - बैठे निराश हो गए थे जिसके चलते उन्होंने धरती पर जाने का विचार बनाया जब वह धरती पर जाने की तैयारी में लगे हुए थे तभी माता लक्ष्मी ने उनसे पूछा की वह कहां जा रहै है तो विष्णु जी ने बताया की वह धरती लोक पर घूमने जा रहे हैं। ऐसा सुन मां लक्ष्मी ने भी भगवान विष्णु जी के साथ जाने की जीद की उन्होंने कहा मैं भी आपके साथ धरती लोक चलाऊगी तो भगवान विष्णु बोले की तुम मेरे साथ चल सकती हो लेकिन एक शर्त पर जब तुम धरती पर पहुंचकर उतर दिशा की तरफ नहीं देखो की । मां लक्ष्मी ने शर्त माना ली जैसी हो मां लक्ष्मी भगवान विष्णु धरती पर पहुंच तो तब सूर्य देव उदय ही हुए थे और रात को बारिश होने की वजह से आस पास की हरियाली ही हरियाली । जिसके चलते धरती और भी खूबसूरत नजर आ रही थी।

जिसके चलते वह भुल गई की उन्होंने विष्णु जी को कुछ वचन दिया हैं और वह उतर दिशा की तरफ मुड़ गई और मन ही मन खुश होकर एक सुन्दर बागीचे में चली गई । क्योंकि उस और से मां लक्ष्मी को भीनी भीनी खुशबू आ रही थी। जहां सुंदर - सुंदर फूल भी खेल थे। जहां से मां लक्ष्मी बिना सोच वह से एक फूल ले आई। जब वह फूल तोड़ने के बाद वापस भगवान विष्णु के पास आई तो भगवान विष्णु के आंखों में से आंसू आ रहे थे। मां लक्ष्मी जी के हाथ में फूल देख विष्णु जी बोले बिना किसी से पूछे उसकी चीज को हाथ नहीं लगना चाहिए और अपने वचन को भी विष्णु जी ने याद दिलाया। मां लक्ष्मी को उनकी गलती का आभास हुआ और उन्होंने अपनी भूल के लिए क्षमा भी मांगी । तो विष्णु जी ने कहा कि तुमने गलती है तो तुम्हे सजा अवश्य मिलेगी । जिस माली के खेत से तुम ये फूल बिना पूछे फूल लिया तुम उसे घर में नौकर बन कर रहो उस के बाद ही तुम बैकुण्ठ वापस आना। भगवान विष्णु के आदेश के अनुसार मां लक्ष्मी उस माली के घर चली गई ।

मां लक्ष्मी ने उस समय एक गरीब औरत का रूप धारण कर लिया था। माध्व नाम के उस माली के पास एक झोपड़ा था जिसमें उसकी पत्नी दो बेटे और तीन बेटियां रहा करती थी। मां लक्ष्मी जब एक गरीब औरत बनकर माधव के झोप़ड़े के पास पहुंची तो माधव ने उनसे पूछा कि बहन तुम कौन हो? तो मां लक्ष्मी ने कहा कि मैं एक गरीब औरत हूं, मेरी देखभाल करने वाला कोई नहीं, मैंने कई दिनों से खाना भी नहीं खाया, मुझे कोई भी काम दे दो। मैं तुम्हारे घर का काम कर दूंगी और इसके बदले में आप मुझे अपने घर के एक कोने में आसरा दे दो। माधव बुहत ही बड़े दिल वाला था,उस मां लक्ष्मी पर दया आ गई और उसने मां लक्ष्मी को अपनी बेटी समझकर अपने साथ रखा । कथा के अनुसार जब मां लक्ष्मी जिस दिन से माधव के झोपड़ में रहने के लिए आई थी तब से उसे बहुत फायदा हुआ । पहले तो उसके सारे फूल बचने से इतनी आमदनी हुई की उसने शाम तक एक गाय खरीद ली । एक कुछ समय बाद जमीन खरीद ली और सबके लिए अच्छे - अच्छे कपडे़ भी बनवाए।

कुछ समय बीत जाने के बाद माधव ने एक बड़ा पक्का मकान खरीद लिया। माधव को हमेशा ये लगता था कि ये सब इस महिला के आने के बाद मिला हैं। एक दिन माधव जब अपने खेतों से काम खत्म करके घर आया तो उसने अपने घर के द्वार पर गहनों से लदी एक देवी स्वरूप औरत को देखा। जब वह उनके निकट गया तो उन्हे पता लगा कि वो महिला मेरी मुंहबोली चौथी बेटी हैं। कुछ समय बाद वह कि वह कोई और नही बल्कि स्वंय मां लक्ष्मी हैं। यह जानकर माधव बोला, “हे मां हमें क्षमा करें, हमने आपसे अनजाने में ही घर और खेत में काम करवाया, हे मां यह कैसा अपराध हो गया, हे मां हम सब को माफ़ कर दे।” यह सुन मां लक्ष्मी मुस्कुराईं और बोलीं, “हे माधव तुम बहुत ही अच्छे और दयालु व्यक्त्ति हो, तुमने मुझे अपनी बेटी की तरह रखा, अपने परिवार का सदस्य बनाया, इसके बदले मैं तुम्हें वरदान देती हूं कि तुम्हारे पास कभी भी खुशियों की और धन की कमी नहीं रहेगी, तुम्हें सारे सुख मिलेंगे जिसके तुम हकदार हो। जिसके बाद मां लक्ष्मी वापस विष्णु जी के पास चली गई।

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