माता पार्वती ने इसी दिन पाया था भगवान शिव जी को
माता पार्वती ने इसी दिन पाया था भगवान शिव जी को
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हरतालिका तीज 2016 : इस वर्ष हरतालिका तीज 04 सितंबर को मनाई जाएगी। संकल्प शक्ति का प्रतीक और अखंड सौभाग्य की कामना का परम पावन व्रत हरतालिका तीज हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को किया जाता है। हरतालिका तीज को हरितालिका तीज भी कहा जाता है। 

हरतालिका तीज व्रत
नारी के सौभाग्य की रक्षा करनेवाले इस व्रत को सौभाग्यवती स्त्रियां अपने अक्षय सौभाग्य और सुख की लालसा हेतु श्रद्धा, लगन और विश्वास के साथ मानती हैं। कुवांरी लड़कियां भी अपने मन के अनुरूप पति प्राप्त करने के लिए इस पवित्र पावन व्रत को श्रद्धा और निष्ठा पूर्वक करती है। "हर" भगवान भोलेनाथ का ही एक नाम है और चूँकि शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए माँ पार्वती ने इस व्रत को रखा था, इसलिए इस पावन व्रत का नाम हरतालिका तीज रखा गया। 

कैसे करें हरतालिका तीज व्रत 
इस व्रत के सुअवसर पर सौभाग्यवती स्त्रियां नए लाल वस्त्र पहनकर, मेंहदी लगाकर, सोलह शृंगार करती है और शुभ मुहूर्त में भगवान शिव और मां पार्वती जी की पूजा आरम्भ करती है। इस पूजा में शिव-पार्वती की मूर्तियों का विधिवत पूजन किया जाता है और फिर हरितालिका तीज की कथा को सुना जाता है। माता पार्वती पर सुहाग का सारा सामान चढ़ाया जाता है। भक्तों में मान्यता है कि जो सभी पापों और सांसारिक तापों को हरने वाले हरितालिका व्रत को विधि पूर्वक करता है, उसके सौभाग्य की रक्षा स्वयं भगवान शिव करते हैं।

शिव पुराण की एक कथानुसार इस पावन व्रत को सबसे पहले राजा हिमवान की पुत्री माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए किया था और उनके तप और आराधना से खुश होकर भगवान शिव ने माता को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था।

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