भगवान श्री राम ने स्थापित किया था श्री रामेश्वरम ज्योर्तिलिंग
भगवान श्री राम ने स्थापित किया था श्री रामेश्वरम ज्योर्तिलिंग
Share:

भगवान शिव को शिव लिंग स्वरूप में पूजने की परंपरा है। माना जाता है कि इस स्वरूप में शिव आराधना बेहद आसान होती है तो दूसरी ओर भगवान थोड़ी से भक्ति में प्रसन्न होकर श्रद्धालुओं को दर्शन देते हैं। मगर इन शिवलिंगों में भारतवर्ष में ऐसे शिवलिंग भी हैं जिनमें साक्षात् शिव ज्योर्तिपुंज के तौर पर विराजमान हैं। इन्हीं ज्योर्तिलिंग में से एक हैं श्री रामेश्वरम् ज्योर्तिलिंग।

इस शिवलिंग की स्थापना भगवान श्री राम ने की थी। वनरराज श्री सुग्रीव की सेना के साथ भगवान श्री राम लंका पर आक्रमण करने यहां पहुंचे थे। इसी दौरान समुद्र पार करने के लिए भगवान शिव की आराधना की। यहां आकर दर्शन करने वाले को कैलाश का वास मिलता है। श्रद्धालुओं के सारे पाप उतर जाते हैं। यही नहीं भगवान शिव श्रद्धालुओं का साथ देते हैं। यू तो प्रतिदिन ही यहां शिव का पूजन होता है मगर श्रावण मास में, महाशिवरात्रि पर, श्री रामनवमी पर, प्रति सोमवार को यहां विशेष पूजन होता है।

जब भगवान श्री राम को लंका विजय करनी थी तो उन्होंने समुद्र को हटने का निवेदन किया मगर जब समुद्र ने उनके निवेदन को नहीं माना तो उन्होंने अपने अस्त्र से समुद्र को सूखाने के लिए तैयारी कर दी। तब समुद्र देव प्रकट हुए और उन्होंने भगवान श्री राम से ऐसा न कर समुद्र के किनारे भगवान शिव की आराधना करने का निवेदन किया। तब भगवान श्री राम ने यहां शिवलिंग का पूजन किया। शिव जी की आराधना से देव शिल्पि विश्वकर्मा के पुत्रों नल और नील ने भगवान श्री राम और उनकी सेना के लिए सेतुबंध रामेश्वरम् तैयार किया। यह पुल समुद्र में पत्थर डालकर बनाया गया।

कथा के अनुसार भगवान ने रावण हत्या के बाद ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्त होने के लिए श्री भरत जी और भगवान श्री हनुमान जी को कैलास पर्वत भेजा और भगवान शिव जी से उपयुक्त प्रतिमा भेंट स्वरूप लाने के लिए कहा। हनुमान जी जब कैलाश पहुंचे तो उन्हें अभीष्ट मूर्ति नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने तप किया। जब हनुमान जी के आने में विलंब होने लगा तो ऋषियों ने श्री राम को ज्योष्ठ शुक्ल दशमी को चंद्र हस्त नक्षत्र में माता सीता द्वारा बनाई गई बालू की प्रतिमा को स्थापित करने की बात करहकर पूजन करने को कहा।

भगवान ने बालू के शिवलिंग की स्थापना की मगर हनुमान जी भी शिवलिंग लेकर लौटे ऐसे में अपने भक्त के भाव को जानकर श्री राम जी ने रामेश्वर के समीम श्री हनुमान जी द्वारा स्थापित शिवलिंग की स्थापना की और घोषणा की कि श्री रामेश्वर की पूजान करने से पूर्व श्री हनुमान जी द्वारा लाए गए शिवलिंग की पूजा भी हो, तो श्रद्धालुओं को अच्छा फल मिलेगा। तभी से इस शिवलिंग का भी पूजन होने लगा।

Disclaimer : The views, opinions, positions or strategies expressed by the authors and those providing comments are theirs alone, and do not necessarily reflect the views, opinions, positions or strategies of NTIPL, www.newstracklive.com or any employee thereof. NTIPL makes no representations as to accuracy, completeness, correctness, suitability, or validity of any information on this site and will not be liable for any errors, omissions, or delays in this information or any losses, injuries, or damages arising from its display or use.
NTIPL reserves the right to delete, edit, or alter in any manner it sees fit comments that it, in its sole discretion, deems to be obscene, offensive, defamatory, threatening, in violation of trademark, copyright or other laws, or is otherwise unacceptable.
रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -