सीता माता का बनाया खाना खाकर भी तृप्त नहीं हुए हनुमान, तुलसी के पत्ते से मिटी भूख
सीता माता का बनाया खाना खाकर भी तृप्त नहीं हुए हनुमान, तुलसी के पत्ते से मिटी भूख
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हनुमान जयंती का पर्व हर साल धूम-धाम से मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 27 अप्रैल को मनाया जाने वाला है लेकिन उससे पहले हम आपको बताने जा रहे हैं हनुमान जी की वो कथा जो आपने कभी नहीं सुनी होगी।

कथा- भगवान राम के राज्याभिषेक के कुछ समय बाद माता सीता को हनुमान पर वात्सल्य प्रेम उमड़ा और उन्होंने हनुमान जी से कहा कि वो अपने हाथों से उन्हें खाना बनाकर खिलाना चाहती हैं। ऐसा सुनकर हनुमान बेहद खुश हुए। आखिर माता सीता के हाथ का खाना उनके लिए सौभाग्य की बात थी। माता सीता ने हनुमान के लिए बहुत सारे व्यंजन बनाए और हनुमान को खाना अपने हाथों से खाना परोसा। थाली में जो भी कुछ परोसा जाता वो झट से हनुमान जी के मुंह में चला जाता। हनुमान जी की भूख मिट ही नहीं रही थी।

यह देख सीता मां को चिंता सताने लगी। उनकी रसोई का खाना खत्म होने को था। सीता जी ने अपनी व्यथा लक्ष्मण जी को सुनाई। माता सीता की बात सुन लक्ष्मण ने कहा, 'हनुमान रुद्र के अवतार हैं, इनको भला कौन तृप्त कर सकता है।' तब लक्ष्मण जी ने तुलसी के पत्ते पर चंदन से राम लिख दिया और उसे हनुमान जी के भोजन पात्र में डाल दिया। तुलसी मुंह में आते ही हनुमान जी की भूख शांत हो गई और थाली में बचे अन्न को अपने पूरे शरीर में मल कर खुशी से नृत्य करते हुए राम नाम का कीर्तन करने लगे।

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