साधक की रक्षा करता है, श्री गणपति अथर्वशीर्ष
साधक की रक्षा करता है, श्री गणपति अथर्वशीर्ष
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भगवान श्री गणेश विद्या और बुद्धि के दाता हैं। भगवान अपनी दोनों ही पत्नियों रिद्धि और सिद्धि के साथ श्रद्धालुओं को वरदान देते हैं। यह तो सभी जानते हैं कि भगवान श्री गणेश हर मांगलिक कार्य में प्रथम पूज्य हैं लेकिन भगवान को प्रसन्न करने आ आसान उपाय कम ही लोग जानते होंगे। जी हां, यदि अपनी क्षमता अनुसार भगवान श्री गणेश के चरणों में मोदक या लड्डू चढ़ाकर गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ किया जाए तो भगवान जल्द प्रसन्न होते हैं। इसमें भगवान की आराधना की गई है। भगवान की कृपा का वर्णन किया गया है जिसमें कहा गया है कि ओम कार भगवान श्री गणेश को हम नमस्कार करते हैं। भगवान श्री गणेश ही प्रत्यक्ष तत्व हैं। और वे ही सभी कार्यों को करने वाले हैं।

भगवान दुखों को हर लेते हैं और सभी रूपों में साक्षात् ब्रह् स्वरूप होते हैं। इस अथर्वशीर्ष में भगवान श्री गणेश से याचक या श्रद्धालु अपनी रक्षा करने की बात कहता है। इस माध्यम से भगवान श्रद्धालु की रक्षा करते हैं। भगवान अपने भक्त के गुरू भी अथर्व शीर्ष से बन जाते हैं। और गुरू अपने शिष्य को तार लेता है। इस तरह से भगवान अथर्वशीर्ष के माध्यम से रक्षा करते हैं। भगवान को कहा जाता है प्रार्थना की जाती है कि भगवान पष्चिम से रक्षा करे, उत्तर से और दक्षिण से इसके साथ हर कहीं से रक्षा करें। इस तरह से यह अथर्वशीर्ष सभी कष्टों से निवारण करता है। शत्रु से रक्षा करता है। अथर्वशीर्ष का मनन, वाचन, उच्चारण करने के बाद साधक के चारों ओर रक्षात्मक आवरण बन जाता है और उसकी रक्षा होती है।

 
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