भगवान गणेश का जागृत स्थल श्री मोरेश्वर धाम

भगवान श्री गणेश जिनके बारे में कहा जाता है कि ये प्रथम पूज्य हैं और शिव के गणों के अधिपति हैं। इनकी कृपा से भगवान शिव भी आपका कार्य सिद्ध कर देते हैं भगवान श्री गणेश को हर पूजन विधान में सर्वप्रथम प्रतिष्ठापित किया जाता है। भगवान श्री गणेश के यूं तो कई मंदिर हैं लेकिन महाराष्ट्र में प्रतिष्ठापित श्री अष्टविनायक मंदिर प्रमुख माने जाते हैं। ये मंदिर स्वयं भू हैं और बेहद जागृत है। जहां दर्शनमात्र से ही प्राणि के समस्त दुखों का नाश होता है और हर मनोकामना पूर्ण होती है। इन मंदिरों में से एक है श्री मोरेश्वर के गणपति।

जी हां। यह मंदिर पुणे के समीप मोरगांव के पास स्थित है। यहां से लोकप्रिय जेजुरी गढ़ मंदिर करीब 64 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मंदिर में भगवान की मूर्ति एक गढ़ रूपी क्षेत्र पर प्रतिष्ठापित है। मंदिर में काले पाषाण की प्रतिमा प्रतिष्ठापित है। जिसका सिंदूर से आकर्षक श्रृंगार किया जाता है। भगवान के एक ओर रिद्धि और दूसरे ओर सिद्धि प्रतिष्ठापित है। भगवान मूषक और मयूर पर विराजमान हैं। भगवान ने सिंधू नाम के असुर का संहार किया था।

इस दौरान भगवान मयूर पर आरूढ़ थे। इसलिए भगवान को मयूरेश्वर भी कहा जाता है। इस गांव के राजा के नाम अर्थात् मोरेश्वर के तौर पर इन्हें जाना गया। यहां चतुर्थी, श्रीगणेशोत्सव और बुधवार को श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। गणपति उत्सव के दौरान यहां अलग ही रौनक रहती है। भगवान को अनेक अलंकार धारण करवाए जाते हैं। यहां आने वाले की सभी मनोकामनाऐं पूर्ण होती हैं। 

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