धर्म को धर्म रहने दो...इसे न बनाओ अपना व्यापार, ख़त्म हो कन्वर्जन का काम
धर्म को धर्म रहने दो...इसे न बनाओ अपना व्यापार, ख़त्म हो कन्वर्जन का काम
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धर्म एक विस्तृत शब्द है जो विभिन्न मान्यताओं, उपासनाओं, और आचरणों का समूह होता है जो एक व्यक्ति या समुदाय के जीवन और व्यवहार को निर्देशित करते हैं। धर्म के विभिन्न हो सकते हैं और इनमें ईश्वर, आत्मा, जीवन का उद्देश्य, नैतिकता, और जीवन का उचित और संतुलित जीवन जीना शामिल हो सकते हैं।

धर्म एक व्यक्ति या समुदाय के आचरणों, शैलियों, उपचारों, रीति-रिवाजों, धार्मिक लेखों और वैदिक शास्त्रों की समूह होती है। धर्म का महत्व उसके अभ्यास के लिए व्यक्ति के समझ, संस्कार, विश्वास, और विचारों पर निर्भर करता है। धर्म एक संपूर्ण जीवन दृष्टिकोण होता है जो व्यक्ति को अनुशासन, समझदारी, न्याय, करुणा और दया जैसी गुणों को विकसित करने की शिक्षा देता है। धर्म की शुरुआत न केवल एक व्यक्ति या संस्था द्वारा की गई है, बल्कि इसकी शुरुआत बहुत पहले से हो गई है। धर्म की शुरुआत के विभिन्न रूपों को लेकर कुछ मतभेद होते हैं, लेकिन विश्व के कुछ सबसे प्राचीन धर्मों में से कुछ का अस्तित्व हजारों साल पहले से होता आ रहा है।

विश्व के कुछ प्राचीनतम धर्मों में से एक हिंदू धर्म है, जो कि लगभग 4000 से 6000 वर्ष पहले भारत में उत्पन्न हुआ था। वेदों में लिखित उपनिषदों और पुराणों की सहायता से, हिंदू धर्म का विस्तार हुआ और इसमें बहुत सारे देवी-देवता, उपासना पद्धतियां, ज्ञान और कर्म के सिद्धांत शामिल हो गए। दूसरे धर्मों की शुरुआत भी बहुत पहले से होती चली गई है। जैसे- बौद्ध धर्म जो सिद्धार्थ गौतम बुद्ध के द्वारा स्थापित किया गया था। इसकी शुरुआत लगभग 2500 से 2600 वर्ष पहले हुई थी। इसी तरह सिख धर्म, जो गुरु नानक देव जी के द्वारा स्थापित किया गया था।

धर्म का विस्तार इतिहास के विभिन्न समयों में विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक आंदोलनों के फलस्वरूप हुआ है। अनेक धर्मों के संस्थापक अपने उपदेशों और सिद्धांतों के माध्यम से धर्म का विस्तार किया हैं। यह कुछ प्रमुख धर्मों के लिए निम्नलिखित है:

हिंदू धर्म - हिंदू धर्म के विस्तार का क्रम वैदिक काल से लेकर महाभारत काल, गुप्त काल, मध्यकालीन काल, और मुगल काल तक जारी रहा है। अनेक संतों और आचार्यों ने अपने उपदेशों के माध्यम से हिंदू धर्म का विस्तार किया है।

बौद्ध धर्म - बौद्ध धर्म का विस्तार भगवान बुद्ध और उनके शिष्यों द्वारा किया गया था। उन्होंने अपने उपदेशों के माध्यम से बौद्ध धर्म को भारत से बाहर भी फैलाया था।

इस्लाम धर्म- इस्लाम धर्म  की स्थापना कुरान के माध्यम से 610 ईसा पूर्व से लेकर 632 ईसवी तक चले मब्दे तक मुहम्मद नामक प्रवक्ता द्वारा की गई। मुहम्मद, मक्का के एक व्यापारी थे जो समय-समय पर सोचते रहते थे कि उनकी जिंदगी में कुछ और नहीं है। उन्हें एक दिन एक दैवी दृष्टि हुई जिसमें उन्हें संदेश दिया गया कि वे एक परमेश्वर की ओर से पवित्र दूत हैं और उन्हें दुनिया को उस परमेश्वर के पास लाने का काम सौंपा गया है। मुहम्मद ने फिर कुछ समय तक विचार किया और उन्हें पूरी तरह से इस बात का अनुभव हुआ कि उन्हें एक दिव्य दृष्टि मिली है और वह उस परमेश्वर के सन्देश को दुनिया को बताने के लिए उठा है। उन्होंने कुरान में विभिन्न विषयों पर विचार किया, जैसे कि पूर्वजों की धर्म की पूजा, दूसरे धर्मों के अनुयायी, न्याय, समाज और अन्य विषयों पर।

ईसाई धर्म- ईसाई धर्म की स्थापना यीशु मसीह (Jesus Christ) के जीवन और उपदेशों पर आधारित है। ईसाई धर्म के अनुयायी यीशु को मसीह या मसीहा कहते हैं, जिसे वे भविष्यवक्ता और मुक्तिदाता के रूप में मानते हैं। उनके अनुयायी ईसाई धर्म के संस्थापक मानते हैं।यीशु का जन्म लगभग 2000 वर्ष पहले इस्राइल में हुआ था। उन्होंने एक उपदेशक बनने के रूप में अपना जीवन व्यतीत किया और लोगों को प्रभु के भविष्यवाणियों और प्रेम के बारे में सिखाया। उन्होंने कई अद्भुत चमत्कार किए, जिन्हें लोग दिव्य कार्यों कहते हैं, और उनके उपदेशों को बाइबिल के रूप में लिखा गया।

कुछ वर्षों में दुनिया भर में धर्म को लेकर कोई न कोई नया किस्सा सुनने, देखने और पढ़ें के लिए मिल रहा है, लेकिन इन्ही सब के बीच कन्वर्जन के मामले भी तेजी से बढ़ते जा रहे है। कहीं ,लोग खुद अपना धर्म छोड़ रहे है तो कहीं जोर जबरदस्ती करके लोगों का धर्म परिवर्तन किया जा रहा है, और ये अधिकांश मामले ईसाई और मुस्लिम धर्म में देखने के लिए मिल रहे है। कहीं का कहीं ये कहा जाता है कि हम किसी को मार मार कर धर्म परिवर्तन का दबाव नहीं दाल सकते, पर अधिकांश मामले देशभर में जोर जबरदस्ती और लोभ लालच नहीं तो जान से मरने की धमकी देकर किया जा रहा है। कुछ लोगों ने तो इसे अपना व्यापार बना लिया है। 

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