बंगाल से ख़त्म हुआ वाम का वर्चस्व, एक ही उम्मीदवार बचा पाया जमानत
बंगाल से ख़त्म हुआ वाम का वर्चस्व, एक ही उम्मीदवार बचा पाया जमानत
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कोलकाता: वामदलों को लोकसभा चुनाव में अपने सबसे मजबूत किले पश्चिम बंगाल में इतना बड़ा झटका लगा है कि केवल एक प्रत्याशी को छोड़कर बाकी सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई. चुनाव आयोग द्वारा घोषित चुनाव परिणाम के अनुसार, माकपा के जाधवपुर से प्रत्याशी बिकास रंजन भट्टाचार्य ही जमानत बचाने लायक वोट हासिल करने में सफल रहे. वहीं, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के किसी प्रत्याशी की जमानत नहीं बच सकी. 

गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में हर प्रत्याशी को जमानत राशि बचाने के लिये कुल पड़े वोटों का कम से कम 16 प्रतिशत मत प्राप्त करना अनिवार्य है. निर्वाचन नियमों के अनुसार सामान्य वर्ग के प्रत्याशी के लिये जमानत राशि 25 हजार रुपये निर्धारित है. वहीं अनुसूचित जाति के प्रत्याशी के लिए 12,500 और अनुसूचित जनजाति प्रत्याशी के लिये पांच हजार रुपये निर्धारित है. 

पश्चिम बंगाल में 2011 तक 34 वर्ष तक सत्ता में रहे वाम दलों के लिये माकपा के दिग्गज नेता मोहम्मद सलीम की जमानत जब्त होना सबसे हैरान करने वाला रहा. रायगंज से सांसद रहे सलीम को केवल 14.25 प्रतिशत वोट मिल सके. जमानत गंवाने वाले माकपा के अन्य मुख्य प्रत्याशियों में दमदम से नेपालदेब भट्टाचार्य, मुर्शिदाबाद के वर्तमान सांसद बदरुद्दोजा खान और दक्षिणी कोलकाता से प्रत्याशी नंदिनी मुखर्जी शामिल है. पश्चिम बंगाल में वाम दलों का गत छह दशक में यह सबसे शर्मनाक चुनावी प्रदर्शन है. 

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