
लंदन: ब्रिटेन के साउथपोर्ट में तीन मासूम बच्चियों की निर्मम हत्या और 10 अन्य लोगों को घायल करने के आरोपी एक्सल रुदाकुबाना को अदालत ने 52 साल की जेल की सजा सुनाई है। यह मामला ब्रिटेन के सबसे भयावह अपराधों में से एक माना जा रहा है, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। हमले में मारी गई बच्चियों की पहचान छह वर्षीय बेबे किंग, सात वर्षीय एल्सी डॉट स्टैनकॉम्ब और नौ वर्षीय ऐलिस दा सिल्वा अगुइआर के रूप में हुई है। अदालत ने इस अपराध को निर्दोष और खुशहाल बच्चों के जीवन को क्रूरता से समाप्त करने का प्रयास बताया।
यह घटना 29 जुलाई 2024 को साउथपोर्ट में एक टेलर स्विफ्ट-थीम पर आधारित डांस क्लास के दौरान हुई थी। हमलावर एक्सल रुदाकुबाना, जो उस समय 17 साल का था, ने चाकू से इन मासूमों पर हमला कर दिया। हमले में आठ अन्य बच्चे और दो वयस्क घायल हुए थे। अदालत ने उसे 52 साल की सजा सुनाते हुए कहा कि वह संभवतः जीवन भर जेल में रहेगा। अभियोजन पक्ष ने अदालत में इस अपराध को मजहबी या राजनीतिक मकसद से प्रेरित न मानते हुए इसे हिंसा और नरसंहार के प्रति जुनून करार दिया। हालांकि, यह तथ्य सामने आया है कि आरोपी के पास अल-कायदा का 'चाकू से सार्वजनिक जगहों पर हमला करने का' ट्रेनिंग मैनुअल भी था। इसके बावजूद, उसके खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों के तहत मामला दर्ज नहीं किया गया। इस दृष्टिकोण पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
ब्रिटिश सरकार ने घटना के बाद सार्वजनिक जांच का आदेश दिया है ताकि इस भयावह अपराध से जुड़े सभी सवालों के उत्तर मिल सकें। वहीं, इस मामले पर लिवरपूल मुस्लिम काउंसिल के नेता तौहीद इस्लाम ने इसे "महिलाओं के खिलाफ अपराध" कहकर धार्मिक चरमपंथ से जोड़ने के प्रयासों को नकारने की कोशिश की। रुदाकुबाना, जो रवांडा मूल के ईसाई माता-पिता के घर कार्डिफ में पैदा हुआ था, घटना के समय हिंसा को लेकर जुनूनी था। सुनवाई के दौरान उसने कई बार अदालत में हंगामा किया और चिकित्सा सहायता की मांग करते हुए कार्यवाही को बाधित करने की कोशिश की। अंततः जज ने उसे कोर्टरूम से बाहर करने का आदेश दिया और उसकी गैर-मौजूदगी में सजा सुनाई।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने इसे देश का सबसे भयावह मामला बताते हुए पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने की प्रतिबद्धता जताई। साउथपोर्ट के सांसद ने इस सजा की समीक्षा की मांग की है। इस घटना ने ब्रिटेन में वैध और अवैध प्रवासियों के मुद्दे को लेकर व्यापक बहस छेड़ दी है। हमले के बाद प्रवासी विरोधी भावनाएँ बढ़ीं और कई जगहों पर हिंसा भी हुई। ब्रिटेन की मर्सीसाइड पुलिस ने घटना में मारी गई बच्चियों को श्रद्धांजलि देते हुए इसे ‘समाज के लिए चेतावनी’ बताया है।
यह घटना ब्रिटेन की न्याय प्रणाली और आतंकी हमलों की परिभाषा पर नए सवाल खड़े करती है। निर्दोष बच्चों के खिलाफ ऐसी बर्बरता पर समाज की चुप्पी और अभियोजन पक्ष का नरम रुख, दोनों ही चिंताजनक हैं।