जानें उपछाया चंद्रग्रहण के बारें में क्या कहता है ज्योतिष शास्त्र?
जानें उपछाया चंद्रग्रहण के बारें में क्या कहता है ज्योतिष शास्त्र?
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साल 2020 का पहला चंद्र ग्रहण 10 जनवरी को लगा था और अब दूसरा चंद्र ग्रहण 05 जून को लगने वाला है. वहीं, जून में ही 21 तारीख को सूर्य ग्रहण भी लगेगा. खास बात तो ये है कि ये दोनों ही ग्रहण भारत में दिखाई देंगे. ये उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा. जिसकी शुरुआत 5 जून की रात 11:16 बजे से हो जायेगी और इसकी समाप्ति 6 जून को 02:32 मिनट पर होगी. ग्रहण रात 12:54 बजे अपने अधिकतम प्रभाव में होगा. तो चलिए जानते है ज्योतिष में उपछाया चंद्रग्रहण का क्या महत्व है ....

5 जून को लगने वाला चंद्रग्रहण उपछाया चंद्रग्रहण कहलाएगा. ज्योतिष में यह ग्रहण आम चंद्रग्रहण से बिलकुल ही अलग रहेगा. ज्योतिष में इस घटना को ग्रहण नहीं माना जाता है इसलिए ग्रहण में सूतक का प्रभाव नहीं रहेगा. सूतककाल नहीं होने से इसमें पूजा-पाठ करने सहित अन्य किसी भी तरह की कोई भी पाबंदी नहीं रखी जाएगी.  


ग्रहण के दौरान इन कामों को न करें-

- ग्रहण लगने से कुछ घंटे पहले ही सूतक लग जाता है. ऐसे में सूतक लगने पर कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए. सूतक काल का समय अशुभ माना गया है.

- शास्त्रों में बताया गया है कि जब ग्रहण लगे तब मंदिरों के कपाट बंद कर देना चाहिए. ग्रहण के दौरान और ग्रहण के खत्म होने तक भगवान की मूर्ति को नहीं छूना चाहिए.  

- ग्रहण में कभी भी सूनसान या श्मशान जैसी जगहों में नहीं जाना चाहिए. ग्रहण को दौरान सबसे ज्यादा नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव रहता है.

- ग्रहण के दौरान बाल और नाखून काटने से बचना चाहिए. इसके अलावा न तो कुछ खाना चाहिए और न ही खाना बनाना चाहिए.

- ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान ना तो ग्रहण देखना चाहिए और ना ही घर के बाहर निकलना चाहिए.


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