मध्य प्रदेश की राजनीती में नेता पुत्रों का पदार्पण
मध्य प्रदेश की राजनीती में नेता पुत्रों का पदार्पण
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राजनीती में नई पीढ़ियां कदम रखने को तैयार है. हाल ही में शिवराज सिंह के बेटे कार्तिकेय काफी हाई लाइट हो रहे है. पढ़ाई में तो बैरिस्टर से ग्रेजुएट है लेकिन जिज्ञासा तो राजनीती में ही रखे हुए है. राजनीती में जिज्ञासा रहे क्यों ना, आखिरकार पिताजी का असर तो बेटे में आएगा ही. इन्हे पता है कि किस तरह से जन सभाओ को सम्बोधित किया जाता है इसलिए वे रविवार को पहुंचे किरार समाज के कार्यक्रम में. शायद पिताजी से उन्होंने सिख लिया है कि किस तरह राजनीतिक मार्ग पर चलना है और वे अब तैयार है राजनीती में कूदने को. उनके भाषण से प्रतीत हो रहा था कि मानो उन्हें तैयार किया हो लेकिन ऐसा कुछ है नहीं. जब राजनीती में जिज्ञासा होती है तो बोलना खुद ब खुद आ ही जाता है. ऐसा कहा जा रहा है कि कोलारस में होने वाले लोकसभा उपचुनाव के प्रचार के लिए कार्तिकेय ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया था लेकिन पिता शिवराज सिंह चौहान कि व्यस्तता के चलते उन्हें आमंत्रित किया गया था. 

बात करें कार्तिकेय की तो वे हमेशा सुर्खियों में बने ही रहते है. किरार सम्मलेन में उन्होंने ज्योतिरादित्य सिंधिया पर निशाना साधा और कहा कि असल में यह क्षेत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया के संसदीय क्षेत्र में आता है लेकिन इसके बाद भी इस क्षेत्र में किसी तरह का कोई विकास नहीं हो पाया. ऐसी ही कुछ विकास कि बात को लेकर सिंधिया पर बोल गए. ज्योतिरादित्य सिंधिया अभी रविवार को ही कोलारस का दौरा कर वापस गए है. असल में यह क्षेत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया के संसदीय क्षेत्र में आता है. इससे पहले जब कार्तिकेय ने फूलों का बिज़नेस शुरू किया था तब भी वे सुर्खियों में आये थे और फिर दूसरी बार तब आये थे जब उन्होंने भोपाल में दूध की एक दुकान शुरू की थी. 

यदि बात करें राजनीती में और नए नौजवान चेहरों की तो ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे महाआर्यमन सिंधिया भी कम सुर्खियों में नहीं रहते. कुछ समय पहले लोकसभा चुनावों के दौरान इन्होने अपने पिता के चुनाव प्रचार की कमान संभाली थी. वार्डो में नुक्कड़-नुक्कड़ पर जाकर अपने पिता के लिए वोट मांगे थे. तब महाआर्यमन ने भी काफी सुर्खिया बटौरी थी. ऐसा पहली बार हुआ था जब महाआर्यमन ने लोकसभा चुनावों में हिस्सा लेकर प्रचार की कमान संभाली थी. हो सकता है महाआर्यमन कार्तिकेय को देख वे भी  प्रचार के लिए आगे आये. 

वही यशोधरा राजे के बेटे अक्षय भी तैयार हो रहे है. कहते है खानदान का असर तो नज़र आ ही जाता है. घर जैसा माहौल वैसी परवरिश और वैसी मिलती है बच्चो को भी सीख. बस यही कुछ लागू होती है इन नेताओं के पुत्रों पर. इससे पहले अक्षय भंसाली वसुंधरा के साथ हर जगह नज़र आये, इससे कह सकते है कि वो शायद राजनीती को प्रैक्टिकल तरीकों से सीखना और देखना चाहते हो. इसके बाद अक्षय ने नगर पालिका के चुनाव के दौरान ऋषिका अष्ठाना के लिए चुनाव प्रसार किया था और इस चुनाव में उन्होंने जीत भी हासिल की. इन्होने अपनी माँ के विधानसभा चुनाव में भी प्रचार की जिम्मेदारी अपने हाथ ली थी और विधानसभा क्षेत्र के कई इलाकों में दौरा भी किया था. इस वक्त अक्षय भी काफी मीडिया की नज़रों में रहे थे. 

इनके अलावा भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश वियजयवर्गीय के पुत्र आकाश वियजयवर्गीय भी राजनीती में कूदने की कोशिश में है. हाल-फिलहाल अभी पूरी तरह से वे राजनीती के रंग में ढले नहीं है. आकाश ने भी कई जन सभाओं को सम्भोधित किया है. 

 

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