‘लाउडस्पीकर से अजान’ पर रोक को लेकर आगे आए इंदौर में वकील, कहा- 'ये जानलेवा है'
‘लाउडस्पीकर से अजान’ पर रोक को लेकर आगे आए इंदौर में वकील, कहा- 'ये जानलेवा है'
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इंदौर: मप्र के इंदौर में अधिवक्ताओं ने प्रशासन का ध्यान मस्जिदों पर लगे लाउडस्पीकर तथा उससे होने वाली दिक्कतों की तरफ खींचा है। इस सिलसिले में ज्ञापन सौंपते हुए लाउडस्पीकर के उपयोग पर प्रतिबंध की माँग की गई है। बताया गया है कि ये लाउडस्पीकर बगैर किसी कानूनी अनुमति के लगाए गए हैं। इनसे होने वाला ध्वनि प्रदूषण नुकसानदायक है तथा इससे आम लोगों को बहुत समस्या झेलनी पड़ती है।

वही सोमवार (10 जनवरी 2022) को इस सिलसिले में कमिश्नर को सौंपे गए ज्ञापन पर 300 अधिवक्ताओं ने हस्ताक्षर किए हैं। इसमें बताया गया है कि इंदौर स्वच्छता के मामले में भारत में नंबर वन है। अब शहर को ध्वनि प्रदूषण रहित बनाने की आवश्यकता है। अधिवक्ताओं के अनुसार, शहर की घनी बसाहट वाले स्थानों पर मस्जिदों से दिन में कई-कई बार लाउडस्पीकर से तेज आवाज में अजान की जाती है। इससे आम लोगों को खासी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। दावा है कि मस्जिदों से ध्वनि के मानकों से कहीं ज्यादा तेजी के साथ प्रदूषण किया जा रहा है।

इसके साथ ही अधिवक्ताओं का कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 19 (1) A तथा अनुच्छेद 21 को ध्वनि प्रदूषण से जान के खतरे के रूप में माना गया है। इसके अतिरिक्त अनुच्छेद 51 A (G) में भी व्यक्ति के मौलिक कर्तव्यों के रूप में पर्यावरण संरक्षण को बताया गया है। इसमें मौलाना मुफ्ती सईद बनाम पश्चिम बंगाल सरकार के केस में कोलकाता उच्च न्यायालय के फैसले का भी जिक्र किया गया है, जिसमें उच्च न्यायालय ने ध्वनि प्रदूषण के मुद्दे पर कहा था कि हर शख्स को उसके धर्म का पालन करने का हक तो है, मगर इससे उसे ध्वनि प्रदूषण फैलाने का अधिकार नहीं प्राप्त हो जाता है। ज्ञापन में बताया गया है कि IPC की धारा 268 के तहत ध्वनि प्रदूषण फैलाने को पब्लिक न्यूसेंस (सार्वजनिक उपद्रव) कहा गया है। वहीं IPC की धारा 290 में इसको लेकर सजा का भी प्रावधान किया गया है। धारा 135 के अंतर्गत इस केस में कार्यवाही का अधिकार मजिस्ट्रेट के पास होता है, मगर इंदौर में कमिश्नरी इंतजाम होने की वजह से इसका पावर कमिश्नर के पास है।

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