'लावण्या' के ही घर की जांच कर रही तमिलनाडु पुलिस.., ईसाई बनने के दबाव के चलते छात्रा ने की थी ख़ुदकुशी
'लावण्या' के ही घर की जांच कर रही तमिलनाडु पुलिस.., ईसाई बनने के दबाव के चलते छात्रा ने की थी ख़ुदकुशी
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चेन्नई: तमिलनाडु की 17 साल की छात्रा लावण्या आत्महत्या मामले में नया मोड़ आया है। लावण्या की दादी ने भी परिवार द्वारा लगाए जा रहे ईसाई धर्मान्तरण के दबाव के आरोपों को सही बताया है। यह बयान उन्होंने एक यूट्यूब चैनल 'चाणक्य' पर एक साक्षात्कार के दौरान दिया है। लावण्या की दादी मंगयरकार्षि (Mangayarkarasi) ने कहा कि अस्पताल में उपचार के दौरान लावण्या ने अपने चाचा को खुद पर ईसाई बनने के दबाव के कारण जहर खाने की बात बताई थी।

यूट्यूब चैनल चाणक्य ने यह इंटरव्यू रविवार (20 फ़रवरी) को प्रकाशित किया है। लावण्या की दादी ने आरोप लगाया है कि, 'मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा केस CBI को ट्रांसफर किए जाने के बाद भी तमिलनाडु पुलिस हम लोगों के ही घर की ही तलाशी ले रही है। पुलिस हमारे ही परिवार से पूछताछ कर रही है। सर्वनन नाम का एक पुलिस अधिकारी हमारे पास छानबीन के लिए आया। मैंने उसको बताया कि मुझे मामले के संबंध में कुछ भी नहीं पता। एक अन्य महिला पुलिसकर्मी मामले की जाँच के लिए मुझे अपने साथ ले गई। मैं ज्यादातर समय चुप रही तो उन्होंने मेरी बहन के पति के बारे में सवाल-जवाब शुरू कर दिए, जो कोयंबटूर में थे। फिर उन्होने मुझे सब कुछ बताने के लिए कहा। 10 फरवरी को चाणक्या को साक्षात्कार देने तक पुलिसकर्मी लगातार हमारे घर आ रहे थे। रोज़ाना 4-5 पुलिसकर्मी हमारे घर आते थे। वो सब एक जैसा ही सवाल-जवाब किया करते थे। इसमें एक सब इंस्पेक्टर प्रमुख था। वो 2-3 सिपाहियों के साथ हमेशा आता जाता था। और बार-बार एक ही सवाल पूछता था।'

बता दें कि मृतका लावण्या तंजावुर के सेक्रेड हार्ट हायर सेकेंडरी स्कूल की स्टूडेंट थी। उन्होंने जहर खा कर ख़ुदकुशी कर ली थी। मौत से पहले अपने अस्पताल में दिए बयान में उन्होंने खुद पर हुए अत्याचार के बारे में बताया था। लावण्या ने आरोप लगाते हुए कहा था कि उनसे टॉयलेट की सफाई करवाई जाती थी। ऐसा इसलिए होता था क्योंकि उन्होंने ईसाई बनने से इंकार कर दिया था। लावण्या के साथ हुई अपनी अंतिम मुलाक़ात के बारे में बताते हुए उनकी दादी ने कहा कि, 'मैं उस से अंतिम बार तब मिली जब उसे उपचार के लिए तंजावुर के अस्पताल में एडमिट करवाया गया था।'

बता दें कि मद्रास उच्च न्यायालय ने यह मामला CBI को ट्रांसफर करते हुए तमिलनाडु सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की आलोचना की थी। इस मामले में धर्मान्तरण के एंगल को भी छिपाने की कोशिश की गई थी। उच्च न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया था कि पीड़िता के मृत्यु पूर्व दिए गए बयान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। अदालत ने तमिलनाडु पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े किए थे। इन आदेशों के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में भी अपील का तमिलनाडु सरकार को कोई खास फायदा नहीं हुआ।

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