पार्श्वगायिका लता हुई 85 बरस की देखे कुछ अनदेखी तस्वीरें
पार्श्वगायिका लता हुई 85 बरस की देखे कुछ अनदेखी तस्वीरें
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भारत रत्न से विभूषित लता मंगेशकर जी आज 85वां जन्मदिन मना रही हैं वे भारत की सबसे लोकप्रिय और आदरणीय गायिका हैं जिनकी आवाज़ ने छह दशकों से भी ज़्यादा संगीत की दुनिया को सुरों से नवाज़ा है। भारत की 'स्‍वर कोकिला' लता मंगेशकर ने 20 भाषाओं में 30,000 गाने गाये है लता ने नौशाद के लिए रागों पर आधारित कई गाने गाए लेकिन उनकी पहचान भारतीय सिनेमा में एक पार्श्वगायक के रूप में रही है। 

लता मंगेशकर का जन्म 28 सिंतबर 1929 को इंदौर में हुआ इनके पिता दीनानाथ मंगेशकर मराठी रंगमंच से जुडे हुए थे। पांच वर्ष की उम्र में लता ने अपने पिता के साथ नाटकों मे अभिनय करना शुरू कर दिया इसके साथ ही वह पिता से संगीत की शिक्षा भी लेने लगी लता ने वर्ष 1942 मे 'किटी हसाल' के लिए अपना पहला गाना गाया लेकिन लता के पिता को उनका फिल्मों मे गाना पसंद नहीं था इसलिए लता के गाए हुये गीत को उन्होने हटवा दिया।

लता बचपन से ही गायक बनना चाहती थीं बचपन में कुंदनलाल सहगल की एक फ़िल्म चंडीदास देखकर उन्होने कहा था कि वो बड़ी होकर सहगल से शादी करेगी लेकिन वक्त ने ऐसी करवट ली की 13 वर्ष की उम्र मे ही घर की सारी ज़िम्मेदारी लता के सिर पर आ गई 1942 मे लता के पिता का निधन हो गया था।अब घर की आर्थिक जिम्मेदारी को उठाते हुए लता ने फिल्मो मे अभिनय करना शुरू कर दिया।

अपने परिवार के भरण पोषण के लिये उन्होंने 1942 से 1948 के बीच हिन्दी व मराठी में क़रीबन 8 फ़िल्मों में काम किया। इन में से कुछ के नाम हैं: “पहेली मंगलागौर” 1942, “मांझे बाल” 1944, “गजाभाऊ” 1944, “छिमुकला संसार” 1943, “बडी माँ” 1945, “जीवन यात्रा” 1946, “छत्रपति शिवाजी” 1954 इत्यादि।उस समय की प्रसिद्ध पार्श्व गायिका नूरजहाँ के साथ लता जी की तुलना की जाती थी लेकिन धीरे-धीरे अपनी लगन और प्रतिभा के बल पर लता को काम मिलने लगा।

1949 में प्रसिद्ध फ़िल्म बरसात, अंदाज, दुलारी और महल की सफलता के बाद वर्ष 1950 में वह फ़िल्मों में सबसे ताकतवर महिला बनीं इसके बाद उन्होने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।सांगीतिक उपलब्धियों के लिए लता को अनेक पुरस्कारों से नवाज़ा गया। संगीत जगत में अविस्मरणीय योगदान के लिए लता जी को दो बार पद्म भूषण,दादा साहब फाल्के,लाइफटाइम अचीवमेंट,नूरजहां आदि पुरुस्कारों से नवाजा गया साथ ही आपको बता दें की लता ही एकमात्र ऐसी जीवित व्यक्ति हैं जिनके नाम से पुरस्कार दिए जाते हैं। 

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