पटना: कोरोना महामारी के बीच भारी बारिश ने देश के कई राज्यों में समस्यां और अधिक बढ़ा दी है, इस बीच बिहार में बाढ़ ने व्यक्तियों का जीना मुश्किल कर दिया है। दरभंगा में बाढ़ एवं वर्षा कि स्थिति का अनुमान इसी बात से लगा सकते हैं कि चिता चलाने के लिए भी सूखी धरती नहीं बची है। कुशेश्वरस्थान के महिसाैत गांव में एक मनुष्य की मौत के पश्चात् शवदाह के लिए श्मशान घाट में मचान बनाना पड़ा। इस पर उसकी चिता सजाई गई। आखिरी परिक्रमा के लिए भी महिला के बेटों ने नाव का सहारा लिया।
प्राप्त खबर के अनुसार, गांव में शिवनी यादव की लंबी बीमारी के पश्चात् मौत हो गई थी। श्मशान घाट में पानी भरा हुआ था। ऐसे में पहले तो लाश जलाने के लिए किसी दूसरे स्थान की तलाश की गई, मगर गांव बाढ़ के पानी से घिरा हुआ था। इसके पश्चात् गांव के व्यक्तियों ने श्मशान घाट में ही दाह संस्कार करने का निर्णय लिया।
वही पानी में डूबे श्मशान में बांस का मचान बनाया गया। मचान के ऊपर आग जलाने के लिए घर में खाना रखने के लिए उपयोग की जाने वाली मिट्टी की बड़ी कोठी रखी गई। मिट्टी से बनी इस कोठी में शिवनी की लाश रखकर उसकी चिता सजाई गई। गांव के व्यक्तियों की सहायता से नाव के माध्यम से ही शव की अंतिम परिक्रमा की गई। तत्पश्चात, शिवनी के बेटे रामप्रताप ने पिता को मुखाग्नि दी। गांव में लाश जलाने तक के लिए धरती न प्राप्त होने के इस मामले को सरकारी अधिकारी सामान्य मानते हैं।