भयावह हादसा: आग से घिरी PG में रहने वाली छात्रा, आखिरी बार पिता को फ़ोन कर कही यह बात
भयावह हादसा: आग से घिरी PG में रहने वाली छात्रा, आखिरी बार पिता को फ़ोन कर कही यह बात
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चंडीगढ़: आज के समय में हमारे देश कोई हादसा हो तो लोग कहते है कि यह आम बात है. लेकिन एक परिवार में किसी के चले जाने का दुःख  कोई नहीं जानता है . वहीं आज के समय में कुछ ऐसे भयानक और दर्दनाक हादसे है जो आज लोगों के मानसिक संतुलन को हिला दे रहें है. वहीं हाल ही में चंडीगढ़ स्थित पीजी में आग की घटना में जलने से पहले हिसार के आदर्श नगर निवासी एडवोकेट राजीव महता की बेटी मुस्कान ने आखिरी बार अपने पापा से फोन पर बात की थी. पापा से हुई बात के हर शब्द चंडीगढ़ में हुए अग्निकांड की भयावह को बयां कर रहे थे. इसी दौरान फोन कटा और वो हो गया जिसका किसी को अंदाजा नहीं था. पीजी में भीषण आग लगी थी. मुस्कान लपटों और धुएं से घिरी हुई थी. उसने हिसार रह रहे अपने पापा फोन लगाया. वह सिर्फ इतने ही शब्द बोल पाई थी कि पापा! यहां बहुत ज्यादा आग लग गई है. उसके पीछे से तेज आवाज आ रही थी कि गीला कंबल लाओ. इतनी ही देर में फोन कट गया और कुछ देर बाद मुस्कान के इस दुनिया से चले जाने की खबर परिवार तक पहुंची. हादसे से टूट चुके पिता राजीव महता तो कुछ बोलने को तैयार नहीं थे.

वहीं इस बात की जानकारी मिली है कि हादसे की सूचना पाकर महता परिवार के जानकार और पड़ोसी पीड़ित परिवार को सांत्वना देने में लगे रहे. मुस्कान के भाई युवराज ने बताया कि मुस्कान चंडीगढ़ के एसडी कॉलेज में एमकॉम प्रथम वर्ष की छात्रा थी. इससे पहले उसने चंडीगढ़ के ही गुरु नानक देव कॉलेज से बीकॉम की थी. वह सभी तरह की प्रतिस्पर्धाओं में अव्वल रहती थी. जो भी आसपास में गलत होता था, उस पर प्रतिक्रिया देना उसका स्वभाव था. इसके लिए वह सोशल मीडिया का सहारा लेती थी. फेसबुक हो या व्हाट्सएप पर वह खुलकर तर्क रखती थी. यही कारण है कि गुरुनानक देव कॉलेज में बीकॉम फाइनल वर्ष में उसने निर्दलीय चुनाव लड़ा और भारी मतों से जीतकर कॉलेज की प्रधान बनी थीं.युवराज ने बताया कि सिद्धार्थ इंटरनेशनल स्कूल से पढ़ाई पूरी होने के बाद मुस्कान को बीकॉम में दाखिला दिलाने के लिए परिवार उलझन में था कि दिल्ली भेजें या चंडीगढ़. फिर चंडीगढ़ का फैसला लिया, क्योंकि यहां पारिवारिक सदस्यों का आना-जाना लगा रहता है.

वहीं यह भी कहा जा रहा है कि युवराज ने बताया कि उनके चाचा दिनेश महता भी चंडीगढ़ में ही रहते हैं. बीकॉम करते समय मुस्कान हॉस्टल में ही रही थी. अब एमकॉम में दाखिला होने के बाद ही उसे पीजी में शिफ्ट करवाया था. वहीं इस बात का पता चला है युवराज ने बताया कि आखिरी बार मुस्कान एक महीना 10 दिन पहले लोहड़ी पर घर आई थी. युवराज खुद भी चंडीगढ़ के ही खालसा कॉलेज में बीए द्वितीय वर्ष का छात्र है और वहां पीजी में ही रहता है. उसे रविवार को ही वापस जाना था, क्योंकि सोमवार से कक्षाएं शुरू होनी हैं. इससे पहले ही यह दुखद सूचना आ गई.

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