नई दिल्ली : केंद्र सरकार द्वारा संसद में पेश किए जाने वाले भूमि अधिग्रहण बिल को लेकर इन दिनों जमकर बवाल मचा हुआ है कांग्रेस ने इसे अपने मुख्य मुद्दे के तौर पर लिया है तो दूसरी ओर केंद्र की राजग सरकार इस बिल को पारित करने की पूरी कोशिश में है। लोकसभा में तो सरकार बहुमत को लेकर आश्वस्त है मगर दूसरी ओर विपक्ष के बहुतमत वाले सदन राज्यसभा में सरकार इस बिल को पारित करवाने को लेकर माथापच्ची कर रही है।
अभी भी इस बात पर पसोपेश बना हुआ है कि विधेयक इस सत्र में भी पारित हो पाएगा कि नहीं दूसरी ओर केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री एम. वैंकेया नायडू ने सरकार के इरादे स्पष्ट करते हुए कहा कि भूमि अधिग्रहण विधेयक को लेकर सरकार अपने रूख से पीछे नहीं हटेगी। दूसरी ओर पहले के सत्रों के तहत संसद में इस बिल को लेकर चर्चा की गई मगर भारी हंगामे के बीच यह पारित नहीं हो पाया।
अब उम्मीद जताई जा रही है कि मई माह एक बार फिर इस बिल को सरकार पेश करेगी। कांग्रेस जिस तरह से अपने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष को प्रोजेक्ट करने में लगी है और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी कांग्रेस हितैषी मुद्दा भुनाने में जुटे हैं तो यह साफतौर पर कहा जा सकता है कि संसद का आगामी सत्र फिर से बहसबाजी से भरा रहेगा। विपक्ष द्वारा इस बिल पर फिर से विरोध जताया जाएगा।
केंद्र सरकार पर जब आरोप लगे कि उन्होंने भूमि अधिग्रहण बिल को किसान गजेंद्र सिंह की आत्महत्या के चलते देरीसे पेश किया तो सरकार ने इन रिपोर्टस को खारिज करते हुए कहा कि किसान गजेंद्र की आत्महत्या का इस विधेयक से संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि किसान आत्महत्या राजग सरकार के सत्ता में रहने से पहले भी हुई है। आत्महत्याओं के लिए 10 माह पहले सत्ता में आई केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार कतई जवाबदेह नहीं है।
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