भू-अधिग्रहण बिल मामले में RTI से खुलासा, सही साबित हुए मोदी
भू-अधिग्रहण बिल मामले में RTI से खुलासा, सही साबित हुए मोदी
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राजनीति के मैदान में कांग्रेस व अन्य विरोधी दल भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल के विरोध को अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन फिर पाने का आधार मानकर चल रहे हैं । किन्तु, आरटीआई के तहत हासिल दस्तावेज कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं। ये दस्तावेज नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के दावों को सही साबित कर रहे हैं । सरकार का कहना है कि आज तो कॉंग्रेस संशोधनों का कड़ा विरोध कर रही है । किन्तु सरकार द्वारा बुलाई पहली बैठक में, कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने ही इस तरह के संशोधनों की जरूरत बताई थी । सहमति वाले क्लॉज (प्रावधान) और कई अन्य विवादास्पद संशोधनों का समर्थन किया था । यह बात अब आरटीआई से हुए इस खुलासे से पूरी सच सिद्ध हो गई ।

आरटीआई के जरिये प्राप्त दस्तावेजों के मुताबिक, 26 जून, 2014 को ग्रामीण विकास मंत्रालय ने संशोधनों पर राज्यों का राय जानने के लिए एक बैठक बुलाई थी । इसमें कांग्रेस शासित राज्यों केरल, कर्नाटक, मणिपुर और महाराष्ट्र ने सहमति वाले क्लॉज और सोशल इंपैक्ट असेसमेंट की अडचनों को हटाने का समर्थन किया था । पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) प्रॉजेक्ट्स के लिए जमीन अधिग्रहण से प्रभावित 80 फीसदी परिवारों की सहमति वाले क्लॉज को बदलने के बीजेपी सरकार के प्रस्ताव का छत्तीसगढ़, केरल, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, गुजरात और हरियाणा (उस वक्त वहाँ भी कांग्रेस की सरकार थी) की सरकारों ने समर्थन किया था।


ये दस्तावेज़ आरटीआई कार्यकर्ता वेंकटेश नायक ने हासिल किये हैं, जिनसे यह भी मालूम होता है कि 26 जून 2014 की बैठक में केरल, महाराष्ट्र और हरियाणा कि काँग्रेस सरकारों ने भी उपयोग नहीं की गई जमीन की वापसी के मामले में भी बीजेपी सरकार के प्रस्ताव का समर्थन किया था। कांग्रेस नीत यूपीए सरकार के जमीन अधिग्रहण एक्ट 2013 में कहा गया था कि अगर सरकार की तरफ से ली गई जमीन का पांच साल तक कोई उपयोग नहीं होता है, तो इसे इसके मूल मालिकों को लौटा देना होगा ।

हालांकि, बीजेपी सरकार ने संशोधन बिल में यह फैसला राज्यों को ही यह तय करने का अधिकार दिया है कि किस पीरियड के बाद इस्तेमाल नहीं की गई जमीन को लौटाने की जरूरत होगी । यूपीए सरकार के बिल में सरकारी अफसर की तरफ से गड़बड़ी के मामले में सजा का प्रावधान रखा गया था। बीजेपी के संशोधन बिल में इसे खत्म कर दिया गया है और इस बात का समर्थन केरल ने भी किया था। कांग्रेस शासित 9 राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने मंगलवार को प्रस्ताव पास करके जमीन अधिग्रहण बिल के संशोधनों को खारिज किया है । यह बैठक पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में हुई थी । उनकी इस बैठक में पारित प्रस्ताव के मद्देनजर अब यह खुलासा और महत्वपूर्ण हो गया है।

इसके बावजूद, कांग्रेस इस खुलासे पर ज्यादा परेशान नजर नहीं आई। पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने लॉर्ड कीन्स का उल्लेख करते हुए कहा, 'जब तथ्य बदलते हैं, तो मैं अपनी राय बदल लेता हूं।'  हालांकि, उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि जब यूपीए सरकार ने लैंड बिल पर सलाह-मशविरा शुरू किया था, तो केरल, हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे कई राज्यों ने सहमति वाले क्लॉज पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने माना कि 'जब हमने राज्यों से बात की थी, तो पृथ्वीराज चौहान (महाराष्ट्र), भूपेंद्र सिंह हुडा (हरियाणा) और केरल के तत्कालीन सीएम को इस प्रावधान पर आपत्ति थी।

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