जानिए कौन हैं लक्षिका डागर ? जो बनीं मध्य प्रदेश की सबसे युवा महिला सरपंच
जानिए कौन हैं लक्षिका डागर ? जो बनीं मध्य प्रदेश की सबसे युवा महिला सरपंच
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उज्जैन: मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव के प्रथम चरण की वोटिंग शनिवार को संपन्न हो चुकी है। मतदान के कुछ देर बाद कई जिलों में परिणाम भी घोषित किए जा चुके हैं। इन चुनावों में किसी को जीत से खुशी मिली है, तो किसी को हार झेलना पड़ी है। इसी बीच हम आपको एक ऐसी जीती हुईं प्रत्याशी के बारे में बता रहे हैं जो मध्य प्रदेश की सबसे युवा महिला सरपंच बनी हैं। जिन्होंने महज 21 वर्ष की आयु में ही सरपंच बनकर इतिहास रच दिया है। इस जीत से उनके गांव में ही नहीं, बल्कि पूरे जिले में जश्न का माहौल है। कोई उनको घर जाकर बधाई दे रहा है, तो कोई सोशल मीडिया के माध्यम से शुभकामनाएं प्रेषित कर रहा है।

दरअसल, त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में सबसे कम आयु की सरपंच का होने का गौरव प्राप्त करने वाली इस युवती का नाम लक्षिका डागर है। जो उज्जैन जिले के तहसील की चिंतामन-जवासिया ग्राम पंचायत से निर्वाचित हुई हैं। अब लक्षिका गांव की मुखिया बनकर वहां सरकार चलाएंगी। बता दें कि लक्षिका की ग्राम पंचायत की कुल आबादी 3265 है। इस गांव से 8 महिलाओं ने सरपंच पद के लिए दावेदारी पेश की थीं। मगर, लक्षिका इनमें सबसे कम उम्र की उम्मीदवार थी। जिसने सबको पटखनी देते हुए 487 वोटों से यह चुनाव जीत लिया। जैसे ही गांव में चुनाव परिणाम का पता चला, तो लोग आधी रात तक इस जीत का जश्न मनाते रहे।

बता दें कि जिस दिन सरपंच का परिणाम आया, उसके एक दिन बाद यानि आज 27 जून को लक्षिका अपना 22वां जन्मदिन मना रही हैं, मगर इसके एक दिन पहले उसे ग्रामीणों ने उन्हें जिंदगी का सबसे बड़ा उपहार दिया है। हर कोई गांव में उनकी जीत से खुश है। जितनी मेहनत लक्षिका ने खुद चुनाव जीतने के लिए की थी, उससे कहीं अधिक ग्रामीणों ने युवा महिला सरपंच उम्मीदवार के प्रचार-प्रसार में कोई कसर नहीं छोड़ी। जीत के बाद, ग्रामीणों ने ढोल-नगाड़ों के साथ गांव की बेटी का जोरदार स्वागत किया और विजय जुलुस निकाला। बता दें कि चिंतामन जवासिया गाँव की नई सरपंच बनने वाली लक्षिका ने पोस्ट ग्रेजुएशन कर रखा है। 

उन्होंने MA मास कम्युनिकेशन और फैशन डिजाइन का कोर्स किया है। लक्षिका उज्जैन लोकल में न्यूज एंकर और रेडियो जॉकी के रूप में भी कार्य करती है। इसके साथ ही वह अपने जिले के गाँवों में समाजसेवा के कार्यों में भी आगे रहती हैं। लक्षिका के पिता दिलीप डागर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक भरतपुरी में रीजनल अधिकारी के पद पर कार्यक्रत हैं। वहीं परिवार में बड़े भाई और बहन ने भी हैं, जिन्होंने चुनाव में उनका भरपूर समर्थन किया। जीत के बाद मीडिया से बात करते हुए लक्षिका डागर ने बताया है कि वे गांव के विकास के लिए कार्य करना चाहती हैं। जब सरपंच के लिए पंचायत में अनुसूचित जाति (अजा) वर्ग की महिला के लिए आरक्षण हुआ, तभी निश्चित कर लिया था कि चुनाव लड़कर गांव की समस्या दूर करना है।

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