क्यों बाँधी जाती है अमृत मुहूर्त में राखी
क्यों बाँधी जाती है अमृत मुहूर्त में राखी
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26 अगस्त को रक्षा बंधन का त्यौहार मनाया जायेगा जो भाई-बहनों का महापर्व है. इस दिन सभी भाई बहन एक साथ रहकर इस दिन को साथ में मनाते हैं और बहन भाई की कलाई में राखी बाँध कर अपने भाई के साथ इस रिश्ते को और भी मजबूत करती है. राखी बांधने के लिये कई शुभ मुहूर्त देखे जाते हैं ताकि सब कुछ शुभ हो. यूं तो राखी उस दिन किसी भी वक्त बांधी जा सकती है लेकिन ज्योतिष के जानकारों के मुताबिक राखी को अमृत मुहूर्त में बांधना सबसे सर्वोत्तम होता है. आज हम आपको यही बताने जा रहे हैं कि अमृत मुहूर्त ही शुभ क्यों होता है.

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सबसे पहले आपको बता दें, अमृत मुहूर्त उस मुहूर्त को कहते हैं जिस काल में राखी बांधना सर्वोत्तम होता है. इस काल में अगर राखी बांधते हैं तो ये विशेष फल देने वाला होता है. इस मुहूर्त में राखी बांधने का लाभ भाई और उसके परिवार को अमृत जैसा प्राप्त होता है. इस पर ज्योतिष का कहना है कि जिस तरह अभिजीत काल में सफलता प्राप्त होती है उसी तरह अमृत मुहूर्त में भाई बहन का प्यार अमृत की तरह होता है और बना रहता है.

आपको भी राखी अमृत मुहूर्त में ही बाँधनी चाहिए और फिर चर मुहूर्त का चुनाव किया जाना चाहिए. अमृत में अगर नहीं बाँध पाई तो शुभ मुहूर्त में बांधे, शुभ में नहीं बाँध पाई तो लाभ और फिर चर मुहूर्त में बांध सकती हैं. ज्योतिष के अनुसार राखी बाँधने के मुहूर्त -

सुबह 7:43 बजे से 9:18 बजे तक चर

सुबह 9:18 बजे से लेकर 10:53 बजे तक लाभ

सुबह 10:53 बजे से लेकर 12:28 बजे तक अमृत

दोपहर 2:03 बजे से लेकर 3:38 बजे तक शुभ

सायं 6:48 बजे से लेकर 8:13 बजे तक शुभ

रात्रि 8:13 बजे से लेकर 9:38 बजे तक अमृत

रात्रि 9:38 बजे से लेकर 11:03 बजे तक चर

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