May 15 2016 01:39 PM
उज्जैन: सिंहस्थ 2016 में कई तरह की नई बातें देखने को मिलीं। इस सिंहस्थ में पहली बार किन्नरों को संतों के तौर पर सम्मान और आतिथ्य मिला। किन्नरों ने अपना अखाड़ा बनाया और स्वयं के महामंडलेश्वर भी स्थापित किए। अब आलम यह है कि इस अखाड़े में श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगी रहती हैं। स्थिति यह हैं कि किन्नर श्रद्धालुओं को दर्शन दे रहे हैं। ये लाल - सफेद साड़ी और सोलह श्रृंगार में पूजन - पाठ, यज्ञ और हवन करते हैं।
इनके हाथों में कमंडल और अन्य सामग्री भी होती है। इस अखाड़े की प्रमुख लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी हैं जिनका महामंडलेश्वर के तौर पर पट्टाभिषेक हुआ है। इनके अधीन 15 पीठाधीश्वर भी हैं। इस अखाड़े में आचार्य महामंडलेश्वर और महामंडलेश्वर बनाए गए। जब ये संत बने तो उनकी चर्चा के स्वर भी बदल गए।
संत बनने के बाद इनके नाम की नेम प्लेट बन गई और अखाड़े के पांडाल में भी बदलाव आ गया। आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी अब व्यास पीठ पर बैठकर श्रद्धालुओं को दर्शन देती हैं। वे लोगों को बरकत के सिक्क, रूद्राक्ष और तुलसी की माला भी देती हैं। उनके पांडाल में वेटिंग हॉल भी बनाया गया हैं
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