कृष्ण की इस एक सलाह के कारण महाभारत के युद्ध में हार गए थे दुर्योधन
कृष्ण की इस एक सलाह के कारण महाभारत के युद्ध में हार गए थे दुर्योधन
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कई ऐसी कथाएं हैं जो आज के समय में प्रचलित हैं. ऐसे में महाभारत से जुडी एक कथा है जिसे सुनने के बाद आप सभी हैरान परेशान हो सकते हैं. जी हाँ क्योंकि इस कहानी, कथा को सुनने के बाद सभी की आँखे फ़टी की फटी रह जाती है. तो आइए जानते हैं यह कथा.

कथा - कथानुसार महाभारत की एक प्रमुख महिला पात्र के जीवन के बारे में भले ही ज्यादा चर्चा न हो लेकिन उसकी महानता के आगे सभी नतमस्तक होते नजर आते हैं, अपने त्याग और बलिदान से उसने इतनी शक्ति प्राप्त कर ली थी कि उसके सामने बड़े से बड़ा योद्धा टिक नहीं सकता था. ये महान महिला थी गांधारी. जी हाँ, आप सभी को बता दें कि गांधारी जन्म से अंधी नहीं थी उसका विवाह जब धृतराष्ट्र से हुआ जो जन्म से ही अंधे थे तो अपने पति का मान रखने के लिए उसने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली और जीवन भर पति का साथ दिया.

कहते हैं इसी त्याग के कारण गांधारी को ऐसी शक्ति प्राप्त हुई कि वह जब भी पट्टी खोलकर किसी को देखेगी तो उसकी तेज दृष्टि से व्यक्ति वर्ज सा कठोर हो जाएगा. कहते हैं ऐसे में जब महाभारत का युद्ध हुआ तो गांधारी ने अपने पुत्र दुर्योधन को वर्ज सा कठोर बनाने के लिए अपने आंखों से पट्टी हटाने का निर्णय लिया और दुर्योधन को नग्नावस्था में अपने समक्ष आने को कहा. इसके बाद जब दुर्योधन मां गांधारी के सामने जा रहे थे तब उन्हें बीच में श्री कृष्ण मिले और उन्होंने इस तरह से माता के समक्ष जाने से दुर्योधन को रोका और लंगोट बांधकर जाने को कहा.

आपक बता दें कि कृष्ण जानते थे कि अगर दुर्योधन का पूरा शरीर वर्ज सा कठोर हो गया तो इसे युद्ध में हराना मुश्किल हो जाएगा, वहीं चातुर्य पूर्वक कृष्ण ने दुर्योधन को ये सलाह दी और दुर्योधन ने कृष्ण की सलाह मान ली. उसके बाद जैसे ही दुर्योधन गांधारी के समक्ष गया तो गांधारी ने अपने आंखों की पट्टी खोली और लंगोट वाली जगह को छोड़कर दुर्योधन का सारा शरीर वज्र के समान कठोर हो गया. कहते हैं महाभारत के युद्ध के दौरान भीम ने दुर्योधन की जंघा पर वार किया जो लंगोट के कारण वर्ज के समान कठोर नहीं हो पाया था और इसी वजह से दुर्योधन की मृत्यु हुई. कहा जाता है भले ही युद्ध का परिणाम दुर्योधन के पक्ष में न रहा हो लेकिन गांधारी ने अपने पुत्र दुर्योधन और पति धृतराष्ट्र के लिए जो किया उसके बलिदान को कभी भी भुलाया नहीं गया.

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