कोटा : कोचिंग का हब कहे जाने वाले कोटा में इन दिनों छात्रों द्वारा आत्महत्या करने का मामला बढ़ गया है। आईआईटी में दाखिला लेने की इच्छुक एक छात्रा ने रिजल्ट आने के एक दिन बाद खुदकुशी कर ली। इस घटना से व्यथित होकर कोटा के कलेक्टर ने यहां के कोचिंग संस्थानों में पढ़ने वाले छात्रों के परिजनों को खत लिखा है।
एक अनुमान के तहत कोटा में डेढ़ लाख से अधिक छात्र रहते है। कलेक्टर ने अभिभावकों को लिखे पत्र में लिखा है कि वे अपने बच्चों पर जबरन अपनी अपेक्षाएं न थोपें। शहर के कलेक्टर रवि कुमार ने पांच पृष्ठों के इस खत को कोचिंग संस्थानों को भेजा है, वहां से इसे कई क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद कर परिजनों को भेजा जाएगा।
कलेक्टर ने लिखा कि इन बच्चों के माता पिता की उनसे जो कुछ भी उम्मीदें थीं, उनकी बनावटी दुविधा में जीने के बजाय उन्होंने मौत को गले लगाना आसान समझा। पत्र में लिखा गया है कि उन्हें बेहतर प्रदर्शन के लिए डराने धमकाने की बजाए आपके सांत्वना के बोल और नतीजों को भूलकर बेहतर करने के लिए प्रेरित करना, उनकी कीमती जान बचा सकता है।
रवि कुमार ने लिखा है कि क्या माता पिता को बच्चों की तरह अपरिपक्वता दिखानी चाहिए? ऐसा नहीं होना चाहिए। अपने पत्र में भावुक अपील करते हुए इन छात्रों के माता पिता से कहा है कि अपनी अपेक्षाओं और सपनों को जबरन अपने बच्चों पर न थोपें, बल्कि वे जो करना चाहते हैं, जिसे करने के वे काबिल हैं उन्हें वही करने दें।
प्रशासन ने संस्थानों की भी जांच-पड़ताल करने का आदेश दिया है। 2015 में यहां 19 छात्रों ने खुदकुशी कर ली। आईआईटी-जेईई की मेन परीक्षा पास करने के बाद कृति नाम की एक छात्रा ने आत्म हत्या कर ली, इसके बाद ही जिला प्रशासन जाग उठा।
अपने पत्र में छात्रा ने अपनी मां को धन्यवाद करते हुए लिखा था कि किस तरह से उन्होंने अपने बच्चों के पालन पोषण के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी। एक अन्य सुसाइड नोट में एक लड़की ने अपने माता पिता से अनुरोध किया वे उसकी छोटी बहन को वही करने दें जो वह चाहती है।