
कोलकाता: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 31 वर्षीय जूनियर डॉक्टर के साथ हुए क्रूर बलात्कार और हत्या मामले में सियालदह कोर्ट ने मुख्य आरोपी संजय रॉय को दोषी ठहराया है। अदालत ने अपराध की जघन्य प्रकृति को ध्यान में रखते हुए रॉय को मृत्यु तक आजीवन कारावास और 50,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है।
यह मामला 9 अगस्त, 2024 को सामने आया था, जब पीड़िता का शव अस्पताल के सेमिनार रूम में मिला। पीड़िता, जो एक प्रशिक्षु डॉक्टर थी, 36 घंटे की लंबी शिफ्ट के बाद थोड़ी देर आराम करने के लिए वहां गई थी। लेकिन उसकी यह शांति, आरोपी की क्रूरता का शिकार बन गई। इस घटना ने देशभर में गहरी संवेदना और आक्रोश पैदा किया, खासकर चिकित्सा समुदाय में, जो अपने सहयोगी के लिए न्याय की मांग में जुट गया।
कोलकाता पुलिस ने शुरुआती जांच शुरू की थी, लेकिन बाद में इस मामले को कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देश पर सीबीआई को सौंपा गया। सीबीआई ने मामले की गहन जांच करते हुए आरोपों को ठोस प्रमाणों के साथ अदालत में पेश किया। अभियोजन पक्ष ने इसे "दुर्लभतम" अपराध करार देते हुए दोषी को मृत्युदंड देने की मांग की थी। उन्होंने तर्क दिया कि एक डॉक्टर, जो मरीजों की सेवा के लिए समर्पित थी, उसके खिलाफ ऐसा अपराध समाज पर गंभीर प्रभाव डालता है।
सियालदह सिविल और क्रिमिनल कोर्ट ने अपराध की प्रकृति को दुर्लभतम मानते हुए भारतीय दंड संहिता की धारा 64, 66 और 103/1 के तहत संजय रॉय को दोषी ठहराया। हालांकि मृत्युदंड की मांग को खारिज करते हुए अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अदालत का कहना था कि यह सजा आरोपी को उसके अपराध की गंभीरता का एहसास दिलाने के लिए पर्याप्त होगी और इससे समाज को भी न्याय का संदेश जाएगा।
पीड़िता के लिए न्याय की इस लड़ाई ने ना केवल पश्चिम बंगाल में बल्कि पूरे देश में मेडिकल प्रोफेशनल्स और आम जनता को झकझोर दिया। जूनियर डॉक्टरों ने इस घटना के बाद से लगातार विरोध प्रदर्शन किए, सरकारी अस्पतालों में मजबूत सुरक्षा व्यवस्था लागू करने की मांग की, ताकि कोई और डॉक्टर ऐसा भयानक अनुभव न झेले।