शंख को पूजा में एक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है. शंख देवी देवता के रूप को दर्शाता है, साथ ही ये भी कहा जाता है कि शंख सूर्य और चन्द्रमा दोनों का ही रूप है ,शंख को उनका देवस्वरूप माना जाता है. इसके मध्य भाग में वरुण देव, पीछे के भाग में ब्रह्मा और आगे के हिस्से में गंगा और सरस्वती जी निवास करती है.
शंख का इस्तेमाल शिवलिंग, कृष्ण और लक्ष्मी विग्रह पर जल अर्पित करने के लिए भी किया जाता है, इससे सभी देवता प्रसन्न रहते है. शंख ऐश्वर्य और समृधि का प्रतीक है. शंख पूजन और ध्यान, आदमी को धनी बनता है, व्यवसाय में सफलता दिलाता है, साथ ही अगर आप शंख में जल भर कर उसे अपने नेत्र में डाले तो आपके नेत्र सम्बन्धी रोग भी दूर होते है,
इसके अलावा अगर आप रात को शंख में जल भर कर रखे और उस जल को फिर सुबह अपने में छिडके, आपके घर में सुख और शांति बनी रहती है और आपको किसी बाधा और परेशानी का सामना नही करना पड़ता.
आत्मा,प्रकाश, आकाश,वायु, अग्नि,और जल से ही पृथ्वी का निर्माण और उत्पति हुई है और इन्ही तत्वों से मिल कर ही शंख का निर्माण हुआ है. माना जाता है कि शंख की ध्वनी बहुत हे पवित्र होती है और इसकी ध्वनी से रोगों, राक्षसों और पिशाचो से भी रक्षा मिलती है.