जानिए क्यों है शेर माँ दुर्गा का वाहन
जानिए क्यों है शेर माँ दुर्गा का वाहन
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पिछले भाग में हमन आपको बताया था की कैसे शेर देवी को खाने के लिए उनकी तपस्या खत्म होने के इंतज़ार में बैठ गया था .आइये अब उससे आगे कहानी  जानते है.

ना जाने क्यों शेर देवी के तपस्या को भंग नहीं करना चाहता था। वह सोचने लगा कि देवी कब तपस्या से उठें और वह उन्हें अपना आहार बना ले। इस बीच कई साल बीत गए लेकिेन शेर अपनी जगह डटा रहा।

कई वर्ष बीत गए लेकिन माता पार्वती अभी भी तपस्या में मग्न ही थीं, वे तप से उठने का फैसला किसी भी हाल में लेना नहीं चाहती थीं. लेकिन तभी शिव वहां प्रकट हुए और देवी को गोरे होने का वरदान देकर चले गए.थोड़ी देर बाद माता पार्वती भी तप से उठीं और उन्होंने गंगा स्नान किया. स्नान के तुरंत बाद ही अचानक उनके भीतर से एक और देवी प्रकट हुईं. उनका रंग बेहद काला था.

उस काली देवी के माता पार्वती के भीतर से निकलते ही देवी का खुद का रंग गोरा हो गया. इसी कथा के अनुसार माता के भीतर से निकली देवी का नाम कौशिकी पड़ा और गोरी हो चुकी माता सम्पूर्ण जगत में ‘माता गौरी’ कहलाईं.स्नान के बाद देवी ने अपने निकट एक सिंह को पाया, जो वर्षों से उन्हें खाने की ललक में बैठा था. लेकिन देवी की तरह ही वह वर्षों से एक तपस्या में था, जिसका वरदान माता ने उसे अपना वाहन बनाकर दिया.

देवी उस सिंह की तपस्या से अति प्रसन्न हुई थीं, इसलिए उन्होंने अपनी शक्ति से उस सिंह पर नियंत्रण पाकर उसे अपना वाहन बना लिया.

जानिए क्यों है शेर माँ दुर्गा का वाहन

 

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