जानिए आखिर क्यों आज ही के दिन मनाया जाता है अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस
जानिए आखिर क्यों आज ही के दिन मनाया जाता है अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस
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कोई भी भाषा किसी क्षेत्र की अपनी एक अलग पहचान होती है। लेकिन अब यह पहचान धीरे-धीरे खोती चली जा रही हैं। यही कारण है कि एक समय दुनिया में कई प्रकार की अलग-अलग भाषाएं बोली जाती थी। परन्तु अब तो सिर्फ भाषाओं का नाम ही रह गया है. हर रोज भाषाएं लुप्त होती जा रही हैं। यही नहीं भाषााओं के साथ उनकी संस्कृति, परम्परा का ज्ञान भी लुप्त होता जा रहा है। 

यदि इस विषय में हम जानकारों कि माने तो जिस तरह दस साल में जनगणना होती है। उसी प्रकार भाषाओं की भी गणना होनी चाहिए। शिक्षकों और विशेषज्ञो ने बताया कि हम जाने अनजाने होड़ में अपनी दिशा और मातृभाषा से दूर होते जा रहे हैं। आज की पीढ़ी में सबसे ज्यादा चलन अंग्रेजी भाषा का है। हम आपको बता दें सन् 1999 में युनेस्को ने प्रतिवर्ष 21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाए जाने की घोषणा की थी। मातृभाषा बहुत पुराना शब्द नहीं है, मगर इसकी व्याख्या करते हुए लोग अक्सर इसे बहुत प्राचीन मान लेते हैं। 

इस वर्ष 21वां 'अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस' मनाया जा रहा है। यूनेस्को के अनुसार, विश्वभर में 6000 भाषाएं बोली जाती हैं। भारत की बात करें तो, वर्ष 1961 की जनगणना के अनुसार, यहां 1652 भाषाएं बोली जाती हैं। इनमें से 42.2 करोड़ व्यक्तियों की मातृभाषा हिंदी है। भारत में 29 भाषाएं ऐसी हैं उनको बोलने वालों का आंकड़ा 10 लाख से अधिक है। भारत में 7 भाषाएं सी बोली जाती है, जिनको बोलने वालों का आंकड़ा एक लाख से अधिक है। भारत में 122 ऐसी भाषाएं हैं, जिनको बोलने वालों की संख्या 10 हज़ार से अधिक है।

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