ऐसा लगता है कि विश्व में हर चीज के लिए एक दिवस रखा गया है. यहां तक कि खुशी (Happiness) के लिए भी एक ‘इंटरनेशनल डे ऑफ हैप्पीनेस’ या अंतरराष्ट्रीय खुशी दिवस रख दिया गया है. संयुक्त राष्ट्र (United Nations) 20 मार्च को प्रत्येक वर्ष इंटरनेशनल डे ऑफ हैप्पीनेस सेलिब्रेट है. वर्ष 2013 में सयुंक्त राष्ट्र ने इसे सेलिब्रेट करना शुरू कर दिया गया था. आइए जानते हैं कि ऐसा क्यों किया जाता है.
क्यों मनाया जाता है ये दिन: संयुक्त राष्ट्र 20 मार्च को ये दिन दुनिया भर के लोगों में खुशी के महत्व के प्रति जागरुकता को बढ़ाने के लिए भी सेलिब्रेट किया जाता है. संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 12 जुलाई 2012 को इसे सेलिब्रेट करने का संकल्प ले लिया गया था . संयुक्त राष्ट्र के लिए इस दिवस को मनाने के पीछ मशहूर समाज सेवी जेमी इलियन की कोशिशों का नतीजा था. उन्हीं के विचारों ने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव जनरल बान की मून को प्रेरित किया और अंततः 20 मार्च 2013 को इंटरनेशल डे ऑफ हैप्पीनेस नाम दिया गया.
संयुक्त राष्ट्र के लक्ष्यों में ‘खुशी’ का स्थान: संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2015 में 17 संवहनीय विकास लक्ष्यों का एलान किया था जो गरीबी समाप्त करने, असमानता को कम करने और हमारे ग्रह की रक्षा करने के लिए निर्धारित कर दिए गए थे. ये तीन प्रमुख पहलू अच्छे जीवन और खुशी के लिए बहुत आवश्यक माने गए हैं. संयुक्त राष्ट्र का यह भी प्रयास है कि इस दिवस को मनाते हुए दुनिया के नीति निर्धारकों और निर्माताओं का ध्यान खुशी जैसे अंतिम लक्ष्य पर बनाए रखा जाए.
खुशी को कितना महत्व: संयुक्त राष्ट्र का यह भी कहना है कि दुनिया में संधारणीय विकास, गरीबी उन्मूलन, और खुशी के लिए आर्थिक विकास में समानता, समावेशता और संतुलन का नजरिया शामिल करने की आवश्यकता होती है. खुशी को महत्व देने की औपचारिक पहल भूटान जैसे छोटे से देश ने की थी जो 1970 के दशक से अपने राष्ट्रीय आय से अधिक राष्ट्रीय खुसी के मूल्य को अधिक महत्व देता आ रहा है. यहां तब से ही राष्ट्रीय सकल उत्पाद की स्थान राष्ट्रीय सकल आनंद को अधिक महत्व भी दिया जाने लगा.
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