1 के बदले 90 नमाज़ियों की हत्या ! जानिए कौन था वो उमर खालिद खुरासानी ?
1 के बदले 90 नमाज़ियों की हत्या ! जानिए कौन था वो उमर खालिद खुरासानी ?
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इस्लामाबाद: 1947 में भारत से अलग होकर इस्लामी मुल्क बना पाकिस्तान आज अपने ही जाल में फंस चुका है। भारत को बर्बाद करने के उद्देश्य से पड़ोसी मुल्क ने जो आतंकी तैयार किए थे, अब वो पाकिस्तान को ही तबाह करने लगे हैं। पाकिस्तान के पेशावर के हाई सिक्योरिटी जोन में नमाजियों से खचाखच भरी मस्जिद में सोमवार को हुए फिदायीन हमले ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। इस हमले में अभी तक 90 लोगों की जान जा चुकी है जबकि 150 से अधिक घायल बताए जा रहे हैं। आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। TTP ने कहा है कि यह हमला उमर खालिद खुरासानी की मौत का बदला लेने के लिए किया गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर वो उमर खालिद खुरासानी है कौन ? जिसकी मौत का बदला लेने के लिए TTP ने लाशों का ढेर लगा दिया।

 

रिपोर्ट के अनुसार, उमर खालिद खुरासनी TTP का कमांडर था, जिसे अगस्त 2022 में पाकिस्तानी सेना ने मार गिराया था। खुरासानी के भाई और TTP के सदस्य मुकर्रम के माध्यम से ही यह पता चला था कि वे लोग खुरासानी की मौत को भुला नहीं पाए हैं और उन्होंने पूरी तैयारी के साथ पेशावर मस्जिद ब्लास्ट को अंजाम दिया है। बता दें कि, खुरासानी का जन्म पाकिस्तान की मोहम्मद एजेंसी में हुआ था। उमर खालिद का वास्तविक नाम अब्दुल वली मोहम्मद था। उसकी शुरुआती शिक्षा उसके गांव (साफो) में हुई, मगर बाद में वह कराची के कई मदरसों में पढ़ा। वह काफी कम उम्र में आतंक से जुड़ गया था। वह शुरुआत में पाकिस्तान के इस्लामी जिहादी संगठन हरकत-उल-मुजाहिदीन का सदस्य बना था, जो मुख्य रूप से कश्मीर में सक्रीय था, जहां वह कश्मीर की आजादी के जिहाद करने लगा था। मगर, बालिग होने पर वह तहरीक-ए-तालिबान (TTP) में भर्ती हो गया।

वह कश्मीर में भी बहुत समय तक सक्रीय रहा। उमर खालिद TTP क़ आतंकी बनने से पहले पत्रकार और शायर हुआ करता था। हालांकि, इस बात के पुख्त प्रमाण नहीं है कि वह TTP में कब शामिल हुआ, मगर अगस्त 2014 में उसने TTP से अलग होकर जमात-उल-अहरार की नीव रखी। यह TTP से जुड़ा हुआ ही एक आतंकी संगठन था। जमात-उल-अहरार अमूमन आम नागरिकों, अल्पसंख्यकों और सैन्यकर्मियों को ही टारगेट किया करता था। 

रिपोर्ट के अनुसार, खुरासानी अफगानिस्तान के नांगरहार और कुनार प्रांतों से आतंकी वारदातों को अंजाम देता था। जमात-उल-अहरार पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का सर्वाधिक एक्टिव आतंकी संगठन था, जिसने कई आतंकी हमलों को अंजाम दिया है। इनमें से सबसे भयानक हमला मार्च 2016 में गुलशन-ए-इकबाल एम्युजमेंट पार्क में हुआ था। इसके अतिरिक्त लाहौर में ईस्टर के पर्व पर एक हमला किया गया, जिसमें 70 से अधिक लोगों की जान गई थी। खुरासानी की आतंकी गतिविधियों के कारण वह अमेरिका की नजर में आया और मार्च 2018 में अमेरिकी विदेश विभाग ने उस पर 30 लाख डॉलर का इनाम घोषित कर दिया। 

दरअसल, जमात-उल-अहरार TTP से जुड़ा हुआ अवश्य था, मगर वह अपने तरीके से हमलों को अंजाम देता था। किन्तु, बाद में मार्च 2015 में यह संगठन TTP से जुड़ गया। अगस्त 2022 में अफगानिस्तान के पाकटीका इलाके में उमर खालिद खुरासानी (45) की गाड़ी को निशाना बनाकर बम धमाका किया गया। इस दौरान खुरासनी के साथ कार में TTP के 2 और कमाडर मौजूद थे। इन सभी की धमाके में जान चली गई थी। हालांकि, वह इससे पहले पाकिस्तानी फ़ौज के कई हमलों से बच गया था। खुरासानी 3 बार ड्रोन हमले में बच गया था। दिसंबर 2021 और फरवरी 2022 में किए गए हमलों से वह बाल-बाल बच गया था। 

 

अमेरिका की नजर खुरासानी पर उसी वक़्त से थी, जब वह  जमात-उल-अहरार से जुड़ा हुआ था और अपने तरीके से आतंकी हमलों को अंजाम देता था। वह अफगानिस्तान में बैठकर कश्मीर में दहशत फैलाने में लगा था। कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ाने के लिए वह अपना नेटवर्क निरंतर मजबूत कर रहा था। यही वह दौर था, जब जमात-उल-अहरार ने पाकिस्तान और कश्मीर में कई आतंकी हमलों का अंजाम दिया, जिसके कारण अमेरिका ने उस पर 30 लाख डॉलर का इनाम घोषित किया। खुरासानी अमेरिका के साथ पाकिस्तान सरकार की किसी भी किस्म की बातचीत के पक्ष में नहीं था। 

2007 में कई सारे आतंकी गुट एक साथ आ गए और इनसे मिलकर बना तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान यानी TTP। इसी टीटीपी को पाकिस्तानी तालिबान भी कहते हैं। इसका उद्देश्य पाकिस्तान में कट्टर इस्लामी शासन लाना है। बता दें कि, पाकिस्तान पहले से ही इस्लामी देश तो है, लेकिन TTP वहां कड़े शरिया नियमों के साथ पूरी तरह इस्लामी राज स्थापित करना चाहता है, जैसा अब अफ़ग़ानिस्तान में है। अगस्त 2008 में पाकिस्तानी सरकार ने TTP पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि, TTP की जड़ें 2002 में ही फैलना शुरू हो गई थीं। अक्टूबर 2001 में जब अमेरिकी सेना ने अफगानिस्तान की सत्ता से तालिबान को बाहर किया, तो उसके आतंकी भागकर पाकिस्तान में पहुंच गए थे। इसके बाद पाकिस्तानी फ़ौज ने इन आतंकियों के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया था।

दिसंबर 2007 में बैतुल्लाह महसूद ने TTP का ऐलान किया। लेकिन, दो साल बाद ही 5 अगस्त 2009 को महसूद मारा गया। उसके बाद हकीमउल्लाह महसूद TTP का लीडर बना। 1 नवंबर 2013 को उसकी भी मौत हो गई। हकीमउल्लाह की मौत के बाद मुल्ला फजलुल्लाह नया नेता बना। 22 जून 2018 को अमेरिकी फ़ौज के हमले में वो भी मारा गया। फ़िलहाल, नूर वली महसूद TTP का लीडर है। बता दें कि, पाकिस्तान तालिबान, अफगानिस्तान वाले तालिबान से अलग है। किन्तु, दोनों का मकसद एक ही है और वो ये कि लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित सरकार को उखाड़ फेंको, कट्टर इस्लामिक कानून लागू कर दो। 

अमेरिकी सरकार की एक रिपोर्ट का कहना है कि TTP का मकसद पाकिस्तानी सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के खिलाफ आंतकी अभियान छेड़ना है और फिर तख्तापलट कर सत्ता पर कब्ज़ा करना है। TTP के नेता खुलेआम कहते हैं कि उनका उद्देश्य पूरे पाकिस्तान में इस्लामी खिलाफत लाना है और इसके लिए पाकिस्तानी सरकार को उखाड़ फेंकने की आवशयकता होगी। बता दें कि, अफगानिस्तान, पाकिस्तान के बाद इन कट्टरपंथियों का अगला टारगेट भारत है, जिसे ये ग़ज़वा-ए-हिन्द कहते हैं और पूरे भारत को इस्लामी झंडे नीचे लाने के लिए साजिशें करते रहते हैं। आतंकियों और कट्टरपंथियों का दावा है कि, ये सब उनकी मजहबी किताबों में लिखा है कि, एक दिन पूरा हिंदुस्तान इस्लामी देश बन जाएगा और सभी लोग मुस्लिम बना दिए जाएंगे। भारत में हाल ही में बैन किया गया कट्टरपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI) भी इसी उद्देश्य के साथ 'मिशन 2047' पर काम कर रहा है, उसका मकसद भारत से लोकतंत्र को उखाड़कर इस्लामी शासन स्थापित करना है।

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