मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के खानपुरा क्षेत्र में रावण की लगभग 20 फुट ऊंची प्रतिमा है. इस प्रतिमा की नामदेव समाज के लोग साल भर पूजा करते हैं. मान्यता है कि इस प्रतिमा के पैर में धागा बांधने से बीमारी नहीं होती. यही कारण है कि अन्य अवसरों के अलावा महिलाएं दशहरे के मौके पर रावण की प्रतिमा के पैर में धागा बांधती हैं.
विभिन्न स्थानों पर इस बात का उल्लेख है कि रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका मंदसौर था, और इसी कारण इस स्थान का नाम मंदसौर पड़ा है. इस लिहाज से मंदसौर के निवासियों का रावण दामाद हुआ. लिहाजा यहां के लोग अब भी रावण को अपना दामाद मानते हैं.
स्थानीय लोग बताते हैं कि नामदेव समाज के लोग दशहरे के दिन प्रतिमा के समक्ष उपस्थित होकर पूजा-अर्चना करते हैं. उसके बाद राम और रावण की सेनाएं निकलती हैं. वध से पहले लोग रावण के समक्ष खड़े होकर क्षमा-याचना मांगते हैं. प्रार्थना करते हुए वे लोग कहते हैं कि आपने सीता का हरण किया था, इसलिए राम की सेना आपका वध करने आई है. उसके बाद वहां अंधेरा छा जाता है और फिर उजाला होते ही राम सेना उत्सव मनाने लगती है.
स्थानीय लोग बताते हैं कि रावण मंदसौर का दामाद है, इसलिए महिलाएं जब प्रतिमा के सामने पहुंचती हैं तो घूंघट डाल लेती हैं. क्योंकि दामाद के सामने कोई महिला सिर खोलकर नहीं निकलती है.
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