जानिए क्या है वेब-3 कैसे करता है काम, क्या है इसकी लाभ और हानि
जानिए क्या है वेब-3 कैसे करता है काम, क्या है इसकी लाभ और हानि
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वेब, जिसे वेब1 के रूप में भी जाना जाता है, आपको इंटरनेट पर सामग्री को ब्राउज़ करने और साझा करने की अनुमति देता है। यह सिर्फ पाठ, छवियाँ और लिंक्स के साथ सामग्री को प्रदर्शित करने की अनुमति देता है। वेब2 में, हमें वेब पर अधिक संवादात्मकता और साझा करने के तरीकों की सुविधा मिली। सोशल मीडिया, ऑनलाइन सहयोग और वेब ऐप्स जैसे चरण वेब2 की पहचान हैं।

वेब3 वेब का एक नया अवतार है, जिसमें बहुत सारी तकनीकी और सामाजिक प्रगति की जाती है। यह नेटवर्क प्रोटोकॉल, ब्लॉकचेन और स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स का उपयोग करता है। वेब3 में उद्योग के नये आधार स्थापित होने के साथ-साथ उपयोगकर्ता के नियंत्रण और गोपनीयता की अधिक सुरक्षा होती है। वेब3 के चंगुल में, डीसेंट्रलाइजेशन (अकेंद्रीकरण) और स्वायत्तता महत्वपूर्ण हैं। वेब3 नेटवर्क उपयोगकर्ताओं को अपनी डेटा के नियंत्रण में रखता है और उन्हें तीसरे पक्षों या अनुबंधकों की जरूरत नहीं होती है। यह उपयोगकर्ता को उनकी निजी जानकारी को सुरक्षित रखने और नियंत्रित करने की सुविधा प्रदान करता है।

वेब3 के उदाहरण में डीसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस (डीफी) और नये वेब ब्राउज़र जैसे ब्रेव शामिल हैं। डीफी वेब3 का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो परंपरागत वित्तीय संस्थानों की जगह लेता है और उपयोगकर्ताओं को बिना ब्रोकर के सीधे वित्तीय संबंध स्थापित करने की अनुमति देता है। इसके अलावा, वेब3 में विभिन्न स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स, डीसेंट्रलाइज्ड आइडेंटिटी, वीआर (वर्चुअल रियलिटी) और एनएफटी (नॉन-फंगिबल टोकन) जैसी प्रगतियाँ भी होती हैं।

वेब3 एक उद्यमी मानवता के लिए बदलाव ला सकता है, जहां उपयोगकर्ता को अपनी डिजिटल पहचान संपत्ति का मालिकाना हक होता है और उन्हें उनके निजी डेटा पर पूरा नियंत्रण मिलता है। इसके साथ ही, वेब3 नए आर्थिक और न्यायिक मॉडलों को भी संभव बना सकता है, जहां विभिन्न प्रतिभागियों के बीच सीधे व्यापार और लेनदेन हो सकते हैं, बिना किसी मध्यस्थ के। यह थोड़ा संक्षेप में वेब3 के बारे में जानकारी थी। वेब3 सूक्ष्म-विवेकी युग में एक प्रमुख मोडल है जो उपयोगकर्ता को नियंत्रित करने, सुरक्षित करने और नवीनतम तकनीकी और सामाजिक उन्नति में मदद करने का वादा करता है।

वेब3 एक नया प्रोटोकॉल है जो वेब को काम करने का नया ढंग प्रदान करता है। यह निम्नलिखित प्रमुख तत्वों पर आधारित होता है:

डीसेंट्रलाइजेशन (अकेंद्रीकरण): वेब3 अपने प्रमुख संरचना में डीसेंट्रलाइजेशन का प्रयोग करता है। यह मतलब है कि वेब के सभी तत्व, जैसे डेटा, ऐप्स और सेवाएं, सेंट्रलाइज्ड सर्वरों पर नहीं होते हैं, बल्कि एक डीसेंट्रलाइज्ड नेटवर्क पर संचालित होते हैं। इससे उपयोगकर्ता को अपने डेटा का पूरा नियंत्रण मिलता है और उन्हें तृतीय-पक्षों की जरूरत नहीं होती है।

ब्लॉकचेन: वेब3 में ब्लॉकचेन का विस्तारपूर्वक प्रयोग होता है। ब्लॉकचेन एक डेटा संरचना है जिसमें सूचना ब्लॉक के रूप में संग्रहीत होती है और एक निश्चित क्रिप्टोग्राफिक हैश के साथ एक साथ बांधी जाती है। यह ब्लॉकचेन को निष्पक्ष, प्रत्येक संबंधित पक्ष के बीच एकीकृत और सुरक्षित बनाता है। वेब3 में ब्लॉकचेन उपयोगकर्ता की पहचान, संबंध, लेनदेन और स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स को सुरक्षित रखने में मदद करता है।

स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स: वेब3 में स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये स्वचालित, सुरक्षित और समझौते में सहायता करने वाले तर्कसंगत कोड के रूप में कार्य करते हैं। इन स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स के माध्यम से, उपयोगकर्ता संबंधित समझौतों पर विश्वास रख सकते हैं और स्वतंत्रता से लेनदेन कर सकते हैं, उपयोगकर्ता के बीच मध्यस्थ की आवश्यकता के बिना। वेब3 के इन तत्वों का संयोजन उपयोगकर्ता को निजीता, नियंत्रण, सुरक्षा और स्वतंत्रता की अधिक सुरक्षा और विकल्पों का अनुभव प्रदान करता है। यह एक नया वेब परिदृश्य उत्पन्न करता है जो उपयोगकर्ता के सामरिक, आर्थिक और सामाजिक दृष्टिकोण को बदल सकता है।

वेब3 के आने से कई लाभ हो सकते हैं, जो हमें एक नए और उन्नत वेब के साथ प्रदान किए जा सकते हैं। यहां वेब3 के कुछ मुख्य लाभ और हानियां हैं:

लाभ:

निजीता और नियंत्रण: वेब3 उपयोगकर्ताओं को उनकी निजी जानकारी और डेटा का पूरा नियंत्रण प्रदान करता है। उपयोगकर्ता अपनी जानकारी को सुरक्षित रख सकते हैं और तृतीय पक्षों के साथ अपनी जानकारी का साझा करने की जरूरत नहीं होती।

डीसेंट्रलाइजेशन: वेब3 डीसेंट्रलाइजेशन के माध्यम से काम करता है, जिससे सर्वर पर आधारित परंपरागत मॉडल से हटकर उपयोगकर्ता को अधिक नियंत्रण मिलता है। यह उपयोगकर्ताओं को अपनी डेटा और ऐप्स को बेहतर तरीके से संचालित करने की अनुमति देता है।

सुरक्षा: वेब3 में क्रिप्टोग्राफी और स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स का प्रयोग किया जाता है, जो डेटा की सुरक्षा और इंटीग्रिटी को सुनिश्चित करता है। यह उपयोगकर्ताओं को अपनी संबंधित लेनदेनों में विश्वास रखने और सुरक्षित रूप से लेनदेन करने की सुविधा प्रदान करता है।

हानियां:

प्रवेश की जटिलता: वेब3 नये प्रोटोकॉल और तकनीकों का उपयोग करता है, जिसके कारण प्रवेश की प्रक्रिया थोड़ी जटिल हो सकती है। उपयोगकर्ताओं को नये सामरिक और तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता हो सकती है, जो कुछ उपयोगकर्ताओं के लिए समस्याओं का कारण बन सकती है।

मानक अनुसूची की कमी: वेब3 अभी भी विकासाधीन है और इसके मानकों और अनुसूचियों की कमी हो सकती है। इससे कुछ उपयोगकर्ताओं को अपने उपकरणों और प्लेटफॉर्मों के साथ संगतता की समस्या हो सकती है।

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