
देश में बीते कई दिनों से गंभीर और संक्रामक बीमारियां बढ़ती ही जा रही है। पहले HMPV और फिर H5N1 (बर्ड फ्लू) के संक्रमण ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चिंता को बढ़ा दिया और अब महाराष्ट्र के कई शहरों में गुलियन बैरे सिंड्रोम GBS) के केस में बहुत अधिक बढ़ चुके है। महाराष्ट्र के पुणे शहर में 100 से अधिक मरीज इस संक्रमण की चपेट में आ चुके है। इनमे 17 मरीजों को वेंटिलेटर पर रख दिया गया है। सेंट्रल गवर्नमेंट ने टेस्ट के लिए एक टीम को पुणे के लिए भेज दिया है। महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार ने इस बारें में बोला है कि पुणे नगर निगम के कमला नेहरू अस्पताल में GBS के मरीजों का फ्री में इसका उपचार किया जा रहा है।
राज्य स्वास्थ्य मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार, तकरीबन 19 मरीज 9 वर्ष से कम आयु के है। वहीं 50-80 वर्ष के 23 केस के बारें में सुनने के लिए मिला है। 9 जनवरी को हॉस्पिटल में भर्ती एक मरीज को पुणे क्लस्टर के भीतर पहला GBS केस भी सामने आ चुके है। हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों से लिए गए कुछ जैविक नमूनों में कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी बैक्टीरिया के बारें में जानकारी दी है। अधिकारी पुणे के पानी का सेम्पल भी ले चुके है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां मामले भी बढ़ते जा रहे है।
जानिए क्या है GBS?: कुछ रिसर्च में कहा गया है GBS एक ऐसी बीमारी हैं, इसमें पीड़ित की इम्युनिटी अपने शरीर के इम्यूनिटी के विरुद्ध कार्य करने लग जाती है। इसलिए इसे ऑटो इम्यून डिसऑर्डर भी बोला जा चुका है। वैज्ञानिकों के मुताबिक यह बीमारी बैक्टीरीयल या वायरल इंफेक्शन के कारण से हो रही है। इस बीमारी से पीड़ित मरीजों को कमजोरी के साथ साथ हाथ और पैरों में झुनझुनी बढ़ने लग जाती है। जिसके साथ साथ शुरुआत में सांस संबंधी बीमारी भी महसूस होती है, लेकिन लंबे समय के पश्चात शरीर पैरालाइज (लकवाग्रस्त) हो चुका है।
किस तरह से होता है GBS?: खबरों की माने तो GBS के कारणों का कुछ भी सबूत नहीं मिल पाया है। हालांकि इसको लेकर भी कई तरह के शोध किए गए है। इससे ये भी बोला जा सकता है कि यह बीमारी श्वास संबंधी या गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल में संक्रमण के कारण से ही होता है। ये भी बोलना बिलकुल गलत नहीं होगा कि GBS वैक्सीन के कारण से भी इसका खतरा तेजी से बढ़ता जा रहा है। वहीं एक रिसर्च में इस बारें में खुलासा किया गया है कि जीका वायरस के पश्चात GBS तेजी से बढ़ता जा रहा है।
GBS के जानिए लक्षण: हाथ और पैर की उंगलियों, टखनों या कलाई में सुई चुभने की तरह एहसास होने लग जाता है। पैरों में कमजोरी जैसी लगती है जिसकी वजह से शरीर के ऊपरी भाग तक फैल सकती है। चलने या सीढ़ियां चढ़ना बहुत ही ज्यादा कठिन हो चुका है। बोलने, चबाने या निगलने में कथानियों का भी सामना करना पड़ जाता है। पेशाब पर नियंत्रण न रहना या हृदय गति का बहुत बढ़ जाती है।
बहुत ही महंगा होता है GBS का उपचार: मरीजों को आमतौर पर इम्युनोग्लोबुलिन (IVIG) इंजेक्शन के एक कोर्स को पूरा करने की जरूरत होती है। मरीज की बीमारी के मुताबिक उसे इंजेक्शन लगाए जाते है। एक बार के इंजेक्शन का मूल्य तकरीबन 20000 रुपये में आता है। एक मरीज को 13-15 इंजेक्शन लगाने पड़ जाते है।
इस तरह कर सकते है आप भी GBS से खुद का बचाव: GBS से बचाव के लिए संतुलित आहार लेना बेहद ही अहम् है। इसके साथ ही रोजाना वर्कआउट या मेडिटेशन करना चाहिए। इतना ही नहीं अपना वजन नियंत्रण में रखना चाहिए। अनहेल्दी लाइफस्टाइल को खुद से दूर रखना जरुरी है।