Apr 01 2017 02:30 AM
नक्षत्रों का महत्व न केवल ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है तो वहीं नक्षत्रों का प्रभाव भी शुभ और अशुभ रूप से होता है। यही कारण है कि शुभ नक्षत्र देखने के बाद ही शुभ कार्यों को किया जाता है।
उज्जैन के पंचांगकर्ता और ज्योतिषाचार्य पंडित आनंदशंकर व्यास ने बताया कि अश्विनी, अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा, मूल और रेवती जैसे 6 नक्षत्र होते है। इनके चार चरणों के अलग-अलग पाद फल माने गये है। जैसे अश्विनी नक्षत्र के पहले चरण में जहां पिता का भय रहता है तो वहीं दूसरे चरण में सुख वैभव, तीसरे में मंत्री पद और चैथे चरण में राज्य सम्मान की प्राप्ति प्रभावित जातक को होती है।
इसी तरह अन्य सभी नक्षत्रों का भी अपना प्रभाव होता है। मूल नक्षत्र के प्रथम चरण में पिता का नाश, दूसरे में माता का नाश, तीसरे में धन का नाश और चैथे चरण में शांति व शुभ माना जाता है।
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