जानिए अनंत चतुर्दशी व्रत की महत्वता
जानिए अनंत चतुर्दशी व्रत की महत्वता
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हिन्दू धर्म हे मुताबिक भाद्र माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाने वाला यह त्योहार भगवान अनंत जिन्हे हम विष्णु के नाम से भी जानते हे उनके लिये मनाया जाता है।

इस दिन भक्तों द्वारा भगवान अन्नत की पूजा बड़े विधि पूर्वक की जाती है। और कहा गया हे कि इस दिन बिना नमक वाला भोजन किया जाता है लोग मीठा भोजन बनाते हे और भगवान को भोग लगाकर ग्रहण करते है पूर्णिमा का संयोग होने के कारण इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता हैं।

इस दिन लोग किसी भी पवित्र नदी में स्नान कर भगवान कि पूजा पाठ बड़ी श्रद्धा के साथ करते है इस दिन यदि व्रती ने प्रातः काल मे स्नान करके शुद्ध घी कि एक ज्योति जलाये व भगवान कि कथाओं का अध्धयन करे तो उसका महत्व और भी बढ़ जाता है।

इस दिन भगवान अनंत के साथ- साथ भगवान विष्णु और गणेश जी की भी पूजा करनी चाहिए। पूजा के उपरांत अनंत सूत्र बाँधने से जिसे हम रक्षा सूत्र भी कहते हे व्यक्ति हमेशा सुखी रहता है भगवान अनंत कि कथाओं का हमारे जीवन मे बहुत ही अधिक महत्व है हमे अपने परिवार जनों के साथ कथा का श्रवण करना चाहिए।

भक्तो को संकट से मुक्त करने वाला अनन्तसूत्र बंधन का त्यौहार अनंत चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है व्रत कि एक कथा-

पुराणों से मिली जानकारी के अनुसार जब पांडव जुए में राजपाट को दाव मे लगाकर उसे हार गये और वन- वन में भटकनें लगे व अनन्य कष्टों का सामना करने लगे तब भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें इस अनन्त चतुर्दशी व्रत करने का सुझाव दिया और बताया कि इस व्रत से तुम्हारे सारे कष्ट दूर हो सकते है तब पांडवों नें उनकी इस बात को मानते हुए इस व्रत को पूर्ण किया तो उनके सभी कष्ट परेशानियाँ दूर हो गये इसी व्रत के कारण उन्हें महाभारत के युद्ध में विजय की प्राप्ति हुई थी।

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