जानिए शास्त्रों में ज्येष्ठ माह का पवित्र महत्त्व
जानिए शास्त्रों में ज्येष्ठ माह का पवित्र महत्त्व
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हिंदी महीने में तीसरा महीना यानि जतयेष्ठ माह जिसे जेठ माह भी कहते है, को शास्त्रों में बहुत ही शुभ महीने के रूप में माना जाता है. हिंदी पंचांग के अनुसार इस माह में ज्येष्ठा नक्षत्र आने के कारण इसे ज्येष्ठ मास के नाम से जाना जाता है . ऐसा माना जाता है कि इस माह में सूर्य बहुत शक्तिशाली रहता है और इसी कारण इस माह में सबसे ज्यादा गर्मी पड़ती है. 

 इस साल 1 मई से ज्येष्ठ महीना शुरू हो गया है और इस महीने का वैज्ञानिक महत्त्व भी होता है. चूँकि इस महीने में गर्मी ज्यादा पड़ती है तो इस महीने शरीर में पानी कि कमी हो जाने का खतरा बाद जाता है और इस कमी को पूरे करने के लिए  इस महीने में पानी अधिक पीना चाहिए और हरी सब्जियां, सत्तू और जल वाले फल का प्रयोग अधिक करना चाहिए. साथ ही इस महीने में दोपहर का विश्राम लाभदायक माना जाता है.

धार्मिक महत्व – इस महीने में सूर्य देव की कृपा पाने का बेहद सुनहरा अवसर प्राप्त होता है.सुबह सूर्यास्त से पहले उठकर स्नान आदि के बाद सूर्य को जल अर्पित करते हुए सूर्य मंत्र का जाप करना चाहिए. इसके लिए शाम को पौधों में जल देना चाहिए. किसी प्यासे व्यक्ति  को पानी पिलाना भी बहुत लाभकारी माना जाता है.जिन लोगों की कुंडली में सूर्य दोष हैं तो उन्हें ज्येष्ठ के हर रविवार को व्रत करना चाहिए, इससे शुभ फल प्राप्त होता है.

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