जानिए राष्ट्रीय खेल हॉकी का इतिहास
जानिए राष्ट्रीय खेल हॉकी का इतिहास
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हॉकी भारतीय खेलों में एक प्रमुख खेल है। यह खेल दो टीमों के बीच खेला जाता है, जिनमें प्रत्येक टीम के पास गेंद गोल करने की कोशिश करते हैं। खेल में खिलाड़ी एक छड़ी या हॉकी स्टिक का उपयोग करते हैं जिससे वे गेंद को अपनी टीम के साथियों को पास करते हैं और गेंद को विरोधी टीम के गोल के दिशा में धकेलते हैं। यह खेल विशेष रूप से भारत में लोकप्रिय है और भारतीय टीम ने विश्व स्तर पर कई महत्वपूर्ण पुरस्कार जीते हैं। हॉकी को भारत का राष्ट्रीय खेल भी घोषित किया गया है। इस खेल की शुरुआत इंग्लैंड में हुई थी, और बाद में यह खेल दुनियाभर में प्रसारित हुआ। हॉकी खेलने के लिए स्थान पर लंबा और चौड़ा मैदान चाहिए होता है, जिसमें दो गोल होते हैं। खेल के नियम और विधि भी अनुसार्य रूप से बनाए गए हैं। हॉकी खेलने वाले खिलाड़ी ऊर्जावान, दक्ष और टीम वर्क करने में माहिर होते हैं।

भारतीय हॉकी टीम के प्रमुख महत्वपूर्ण टूर्नामेंट में हैं: ओलंपिक खेल, कमनवेल्थ गेम्स, हॉकी विश्व कप और एशियाई खेल। हालांकि, वर्तमान में क्रिकेट की लोकप्रियता बढ़ चुकी है, लेकिन हॉकी अभी भी एक महत्वपूर्ण और प्रिय खेल है, जो देशभक्ति और टीम वर्क की भावना को प्रतिष्ठित करता है।

कैसे हुई थी इस खेल की शुरुआत: हॉकी खेल की शुरुआत भारतीय इतिहास में ब्रिटिश शासन के दौरान हुई। इसे अंग्रेज़ों द्वारा पहली बार खेला गया था और उन्होंने अपने खुद के खेल "हॉकी" को भारत में प्रसारित किया।

1895 में कैलकटा के नेटाजी सबबाश क्लब में ब्रिटिश जनरल डेविड ओलीवर अलेक्जेंडर वॉल्टर्स के नेतृत्व में पहला हॉकी मैच आयोजित किया गया। इसके बाद, हॉकी के खेल की लोकप्रियता भारत में बढ़ती गई और यह खेल देश भर में खेला जाने लगा।

1908 में लंदन में आयोजित हुए ओलंपिक खेलों में भारतीय हॉकी टीम ने अपना पहला स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद से ही भारतीय हॉकी टीम ने अपनी दमदार प्रदर्शनी से लोगों का मनोरंजन किया और खेल के क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया। 1928 से 1956 तक, भारतीय हॉकी टीम ने ओलंपिक खेलों में सात बार स्वर्ण पदक जीते और विश्व कप में भी विजयी रही। इस समय में भारतीय हॉकी टीम के खिलाड़ी जैन्ट सिंह, ध्यानचंद, रोयल चांद, बलवंत सिंगर, और लेट ललाम शर्मा जैसे खिलाड़ी मशहूर हुए।

हॉकी की शुरुआत से लेकर आज तक, भारतीय हॉकी टीम ने कई महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय खेलों में अच्छा प्रदर्शन किया है। हालांकि, खेल की दुर्लभता की वजह से और अन्य खेलों की प्रभावशालीता के चलते हॉकी की प्रमुखता अब कम हो गई है, लेकिन यह खेल हमारे देश के लिए एक महत्वपूर्ण और गर्व का स्रोत बना हुआ है।

किसने खेला था हॉकी का पहला विश्व कप: हॉकी का पहला विश्व कप 1971 में खेला गया था। यह विश्व कप बार्सिलोना, स्पेन में आयोजित किया गया था। इस विश्व कप में खेलने वाली टीमें थीं - भारत, पाकिस्तान, अंग्रेज़ी, ऑस्ट्रेलिया, हॉलैंड, अर्जेंटीना, बेल्जियम और केनडा। इस महत्वपूर्ण टूर्नामेंट में भारतीय हॉकी टीम ने कमाल करते हुए चैंपियनशिप जीती। यह भारतीय हॉकी टीम के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण था, क्योंकि यह उनकी पहली विश्व कप जीत थी। भारतीय टीम ने अंग्रेज़ी टीम को फ़ाइनल मैच में 2-1 से हराया और शीर्ष स्थान प्राप्त किया। इस तरीके से, हॉकी का पहला विश्व कप भारत ने अपनी दमदार खेल प्रदर्शनी के साथ जीता और खेल के मान्यतापूर्व स्थान पर अपनी पहचान बनाई।

मेजर ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर क्यों कहा जाता था:  यह कारण था कि उन्होंने हॉकी के क्षेत्र में अत्याधुनिक और मानोहारी तकनीक का प्रदर्शन किया। उनकी खेलने की क्षमता, उनकी तेज दौड़ और ताकतवर गेंद मारने की क्षमता ने उन्हें एक विशेष खिलाड़ी बनाया। ध्यानचंद को एक जादूगर कहा जाता था क्योंकि उन्होंने खुद को हॉकी के माध्यम से ऐसी प्राकृतिक रूप से जोड़ दिया था जो उनके खेल को एक रंगीन और चमकीला महकता हुआ आधुनिक रूप देता था। ध्यानचंद का नाम हॉकी के विश्व में धूम मचा देने वाले महान खिलाड़ियों में से एक है और उन्होंने भारतीय हॉकी को गर्व महसूस कराया है।

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