क्या आप भी मानसिक तनाव से हैं परेशान ? हर समस्या का एक रामबाण उपाय है 'रूपध्यान'
क्या आप भी मानसिक तनाव से हैं परेशान ? हर समस्या का एक रामबाण उपाय है 'रूपध्यान'
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ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते।
सङ्गात् संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते।। ( गीता 2.62 )

हम लागतार जिसका चिंतन करते हैं, उसमें धीरे-धीरे हमारी आसक्ति होने लगती है। उसके लिए हमारा मन पिघलने लगता है। जैसे हम पिघले हुए लोहे को जिस साँचे में डालते हैं, वह लोहा ठीक उसी साँचे का रूप ले लेता है, ठीक उसी प्रकार हमारे मन का लगाव जिस किसी पर्सनालिटी से होता है उसी का गुण हमारे मन में आने लगते हैं। आसक्ति के पश्चात् उसकी कामना पुनः पूर्ति पर लोभ और कामना की अपूर्ति पर क्रोध पैदा होता है। जिसके चलते हम लोग दुखी रहते हैं।


 
अगर ध्यान दें, तो हमारे जीवन का ज्यादातर दुख मानसिक ही होता है और हम इसी दुख से परेशान रहा करते हैं। इसका जड़ हमारा चंचल मन है। ये तो आप सभी जानते हैं कि, चंचल मन को स्थिर करने का एकमात्र उपाय ध्यान ही है। इस वक़्त संसार में विभिन्न तरह के लोग, मन को एकाग्र करने के लिए ध्यान के विभिन्न तरीके बताते हैं। कोई कहता है कि काग़ज के छोटे टुकड़े को हथेली पर रखकर उसे पाँच मिनट देखते रहने से मन एकाग्र होने लगेगा। तो कोई कहता है मोमबत्ती को जलाकर उसे एकटक देखते रहो, कोई आँखें बंद करके ज्योति , स्थूल शरीर आदि को देखता है। कई तरह से लोग ध्यान लगाने की कोशिश करते हैं। इस तरह के ध्यान से क्षणिक आराम तो मिल जाता है, लेकिन इस चंचल मन का क्या किया जाए ? यह तो पुनः अपने पुराने अभ्यास के चलते सांसारिक क्षेत्रों में मग्न हो जाता है और हम फिर अशांत हो जाते हैं। 

इसका उपाय बताते हुए ’’जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज” ने ’रूपध्यान” के विज्ञान से आम जनता को परिचित कराया। रुपध्यान ध्यान की एक ऐसी विधि है, जिसमें हम अपने चंचल मन को श्रीराधा कृष्ण के सुंदर रुप में लगाते हैं तथा इसी का अभ्यास करते हैं। सर्वांतर्यामी ईश्वर की कृपा से उसका ज्ञान व आनंद प्राप्त होने लगता है, जिससे मन पुनः गलत जगहों में नहीं लगता एवं अपने लक्ष्य की दिशा में अग्रसर रहता है।


 
रूपध्यान के लाभ-
एकाग्रता किसी भी काम की सफलता के लिए मुख्य आवश्यकता होती है। अतः जब रूपध्यान साधना से मन का लगाव श्रीभगवान में हो जाता है तो सभी कार्य सरल हो जाते हैं। जैसे-

1. हम लगातार अशांति से शांति की तरफ बढ़ते जाते हैं।
2. जब हम एकाग्रचित होते हैं,  तो इसका लाभ हमें शारीरिक स्वास्थ्य के रुप में स्वतः प्राप्त हो जाता है।
3. हमेशा उर्जावान रहते हैं क्योंकि मानसिक दोष- निंद्रा, तंद्रा, आलस्य, दीर्घसूत्रता आदि रूपध्यान से घट जाते हैं।
4. रूपध्यान से सभी आयु वर्गों के लोगों को लाभ ही मिलता है, जैसे छात्र जीवन में शिक्षा के प्रति रुचि पैदा होती है और study से divert होने की समस्या नहीं रहती है। 
5. रूपध्यान से भगवद्कृपा होती है, जिसके परिणामस्वरूप भगवदीय ज्ञान की प्राप्ति होती है।
6. रूपध्यान साधना से दैवीय गुणों जैसेः दीनता, सहनशीलता, सम्मान देने की भावना आदि गुणों में बढ़ोतरी होती है।
7. रूपध्यान मन को शुद्ध करने का सर्वोत्कृष्ट साधन है। चित्त की शुद्धि के परिणामस्वरुप मानसिक तनाव ख़त्म हो जाते हैं और हम स्वंय को ईश्वर से समीपता का अनुभव करते हैं।

वार्षिक साधना शिविर का रूपध्यान से संबंध:-

ब्रजगोपिका सेवा मिशन द्वारा हर साल आयेजित वार्षिक साधना शिविर का आयोजन किया जाता है, जिसमे रूपध्यान साधना को जन जन में प्रतिष्ठित करने का काम जगत्गुरु श्री कृपालु जी महाराज के दो प्रमुख प्रचारकों - ’’सुश्री रासेश्वरी देवीजी एवं स्वामी युगल शरण’’द्वारा किया जाता है। इसमें हिस्सा लेने वाले प्रतिभागी रुपध्यान के विज्ञान को सहजतापूर्वक हृदयंगम करते हैं एवं कर्मयोग की साधना द्वारा अपने सांसारिक कार्योें को करते हुए ईश्वर की तरफ उन्मुख होते हैं। इस प्रकार वार्षिक साधना शिविर द्वारा रूपध्यान के उपरोक्त वर्णित तमाम लाभ प्राप्त होते है। 

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