जानिए कैसे हुई थी स्कंदमाता की उत्पत्ति?
जानिए कैसे हुई थी स्कंदमाता की उत्पत्ति?
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चैत्र नवरात्रि का 22 मार्च से शुंभारंभ हो गया है। वही आज चैत्र नवरात्र का पांचवा दिन है, इस दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंदमाता सनातन धर्म की देवी दुर्गा की एक रूप हैं। वह भगवान स्कंद (कार्तिकेय) की माता हैं तथा उन्हें भी मां पार्वती के नाम से जाना जाता है। उन्हें नवरात्रि के पांचवें दिन पूजा जाता है और उन्हें चंडी के नौ रूपों में से एक माना जाता है। भगवान महादेव एवं माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय को स्कंद के नाम से भी जाना जाता है। भगवान स्कंद को माता पार्वती ने प्रशिक्षित किया था, इसलिए मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप को स्कंदमाता कहते हैं।

स्कंदमाता की कथा:-
एक पौराणिक कथा के मुताबिक, कहा जाता हैं कि एक तारकासुर नामक राक्षस था। जिसका अंत सिर्फ शिव पुत्र के हाथों की संभव था। तब मां पार्वती ने अपने पुत्र स्कंद (कार्तिकेय) को युद्ध के लिए प्रशिक्षित करने के लिए स्कंद माता का रूप लिया था। स्कंदमाता से युद्ध प्रशिक्षण लेने के पश्चात् भगवान कार्तिकेय ने तारकासुर का अंत किया था।

इन नामों से भी जाना जाता है स्कंदमाता को:-
स्कंदमाता, हिमालय की बेटी पार्वती हैं। इन्हें माहेश्वरी एवं गौरी के नाम से भी जाना जाता है। पर्वत राज हिमालय की पुत्री होने की वजह से पार्वती कही जाती हैं। इसके अतिरिक्त महादेव की पत्नी होने की वजह से इन्हें माहेश्वरी नाम दिया गया एवं अपने गौर वर्ण की वजह से गौरी कही जाती हैं। माता को अपने पुत्र से अति प्रेम है। यही वजह है कि मां को अपने पुत्र के नाम से पुकारा जाना उत्तम लगता है। परम्परा है कि स्कंदमाता की कथा पढ़ने या सुनने वाले श्रद्धालुओं को मां संतान सुख एवं सुख-संपत्ति प्राप्त होने का वरदान देती हैं।

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