बांग्लादेश में हालात अस्थिर हो गए हैं, जिसमें हाल की हिंसा, विरोध प्रदर्शन, और अराजकता ने स्थिति को बेकाबू बना दिया है। इस संकट के चलते, प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा। बांग्लादेश, जो सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहरों से भरपूर है, एक बार फिर से सुर्खियों में है।
बांग्लादेश के हिंदू मंदिर: सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर
बांग्लादेश में हिंदू मंदिर केवल धार्मिक स्थल नहीं बल्कि यहां की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का अहम हिस्सा भी हैं। देश की अधिकांश जनसंख्या मुस्लिम होने के बावजूद, यहां कई सुंदर हिंदू मंदिर स्थित हैं जो धार्मिक भक्ति और सांस्कृतिक विविधता को दर्शाते हैं।
कांताजी मंदिर (Kantaji Temple Dinajpur)
कांताजी मंदिर बांग्लादेश के दिनाजपुर शहर के पास स्थित है। यह मंदिर 18वीं शताब्दी के अंत में दिनाजपुर के महाराजा प्राणनाथ द्वारा बनवाया गया था। कांताजी मंदिर भगवान कृष्ण और रुक्मिणी को समर्पित है और इसे अपनी उत्कृष्ट वास्तुकला के लिए जाना जाता है। हालांकि 1897 में आए भूकंप ने इस मंदिर के शिखर को नष्ट कर दिया, फिर भी इसमें महाभारत और रामायण जैसे हिंदू ग्रंथों के दृश्य टेरोकोटा कला के रूप में अंकित हैं।
ढाकेश्वरी मंदिर (Dhakeshwari National Temple)
ढाकेश्वरी मंदिर बांग्लादेश की राजधानी ढाका में स्थित है और इसे राष्ट्रीय मंदिर का दर्जा प्राप्त है। इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में सेन वंश के राजा बलाल द्वारा कराया गया था। 1996 में इसे आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय मंदिर के रूप में मान्यता मिली। मंदिर देवी ढाकेश्वरी को समर्पित है, जिन्हें देवी दुर्गा का अवतार माना जाता है। यहां दुर्गा पूजा का उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है।
यशोरेश्वरी काली मंदिर (Jeshoreshwari Kali Temple)
सतखीरा जिले में स्थित यशोरेश्वरी काली मंदिर मां काली को समर्पित है। यहां काली पूजा का उत्सव बहुत धूमधाम से मनाया जाता है, जो इस मंदिर की धार्मिक महत्वता को दर्शाता है।
बांग्लादेश में मंदिरों की वर्तमान स्थिति
बांग्लादेश में हजारों मंदिर हैं, लेकिन इनमें से कई की स्थिति चिंताजनक है। कुछ मंदिर जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं क्योंकि इन्हें उचित देखभाल और संरक्षण नहीं मिला है। इसके अलावा, समय-समय पर मंदिरों पर अतिक्रमण और हमले भी होते रहे हैं, जो इनकी स्थिति को और खराब कर देते हैं। वर्तमान में, बांग्लादेश में बिगड़ते हालात और मंदिरों पर हमलों की घटनाएं बेहद निराशाजनक हैं। बांग्लादेश के हिंदू मंदिर धार्मिकता और सांप्रदायिक सौहार्द की पहचान हैं, और इनकी रक्षा और संरक्षण बेहद महत्वपूर्ण है।
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