आखिर कैसे मिला बिपरजॉय तूफान को ये नाम जानिए...?
आखिर कैसे मिला बिपरजॉय तूफान को ये नाम जानिए...?
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इंडिया मौसम विज्ञान विभाग ने 12 जून तक मुंबई और कोंकण क्षेत्रों में भारी वर्षा का पूर्वानुमान जारी किया है. दरअसल दक्षिण-पूर्व अरब सागर के ऊपर एक डीप-डिप्रेशन बना था, जो अब भयंकर तूफान में तब्दील हो चुका है. इस चक्रवाती तूफान को बिपरजॉय तूफान नाम दिया गया है. ये तूफान देश में आने वाले मानसून पर प्रभाव पर डाल देगा. केरल में मानसून अपने तय समय में नहीं पहुंच सका है. ऐसे में बिपरजॉय तूफान ने और भी टेंशन को और भी बढ़ा दिया है. मौसम विभाग ने जानकारी दी है कि इसकी वजह से महाराष्ट्र, गुजरात और गोवा के तटीय क्षेत्र में तेज हवाएं चल सकती हैं.

तूफान का नाम बिपरजॉय क्यों रखा गया?: बांग्लादेश ने इस चक्रवात का नाम बिपरजॉय रख दिया गया है. बिपरजॉय का अर्थ आपदा है. बांग्लादेश ने इस चक्रवात का नाम इसलिए रखा है क्योंकि अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में जो भी चक्रवात आते हैं, उनके नाम इस क्षेत्र के देश रखते हैं. ये सिस्टम पहले से तय होता है कि बारी-बारी से देश चक्रवातों को भी नाम देने वाले है. वर्ष 2004 से ये प्रक्रिया चली आ रही है. जिसके पहले यहां से गुजरने वाले तूफानों को मोचा, बुलबुल और कटरीना नाम दिया गया था. विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने 2020 में बिपरजॉय नाम को स्वीकार भी कर लिया है.

चक्रवातों को नाम देने की प्रक्रिया क्या है?: दरअसल इन चक्रवातों को नाम देने की शुरुआर हवा की गति के आधार पर हो रही है. जब हवा लगभग 63 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से गोल-गोल चक्कर काट रही है, तो ऐसे तूफानों को ट्रॉपिकल तूफान नाम दे दिया है. वहीं जब हवा की स्पीड 119 किलोमीटर प्रति घंटे को पा कर जाती है, तो उसे ट्रॉपिकल हरिकेन बोलते है. इतना ही नहीं जैसे-जैसे स्पीड बढ़ती है हरिकेन की कैटेगरी भी 1-5 के स्केल पर बढ़ती जाती है.

दुनिया के बारें में बात की जाए तो सबसे पहले चक्रवातों को नाम देना अटलांटिक सागर के आस-पास बचे देशों ने शुरू कर दिया है. अमेरिका ने चक्रवातों को नाम देकर उनका रिकॉर्ड रखना शुरू किया. कैरेबियन आइलैंड्स के लोग कभी कैथलिक संतों के नाम के पर चक्रवातों के नाम रखते थे. दूसरे  वर्ल्ड युद्ध के समय अमेरिकी की सेना ने चक्रवातों को महिलाओं के नाम पर रखना शुरू किया. लेकिन कुछ  वक़्त के उपरांत इस पर प्रश्न  उठाए गए तो साल 1978 से आधे चक्रवातों के नाम पुरुषों के नाम रखे जाने लगे.

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