जम्मू- कश्मीर के किसानों को सहायता ही आवश्यकता, संघर्ष समिति ने कहा- 'हम आंदोलन करेंगे'
जम्मू- कश्मीर के किसानों को सहायता ही आवश्यकता, संघर्ष समिति ने कहा- 'हम आंदोलन करेंगे'
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हाल ही में  केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में 6 अगस्त 2019 के बाद से हुई अभूतपूर्व बंदी और असमय बर्फबारी ने सेब, केसर और नाशपाती की 70 फीसदी फसल समाप्त हो चुकी है. जंहा  6 अगस्त 2019 से हुई बंदी, वही कम्युनिकेशन सुविधाओं के अभाव और ट्रांसपोर्ट की समस्या के चलते पहले फसल को मंडी तक नहीं पहुंचा पाए. उस पर रही सही कसर 7 नवंबर को हुई बर्फबारी ने निकाल दी.जंहा किसानों ने 15 से 20 साल लगाकर जिन सेब केपेड़ों को बड़ा किया था वह 18 इंच से एक मीटर तक गिरी बर्फ ने फल लदे पेड़ों को फाड़ दिया. 
 
मिली जानकारी के मुताबिक यह दावा केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर  के दौरे के बाद 7 सदस्यों वाली अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति ने चालू कर दिया है. वही बीते  शनिवार को दिल्ली के महिला प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता में तीन दिन के दौरे से लौटे समिति के वीएम सिंह ने बताया कि उन लोगों ने कश्मीर के गांदरबल, पांपोर, पुलवामा, कुलगाम और अनंतनाग के किसानों के साथ चौपाल की और वहां के व्यापारियों से उनकी समस्याओं को सांझा गया है. 

सूत्रों के मुताबिक किसानों ने समिति को बताया कि केंद्र के आग्रह पर नैफेड ने 1.36 लाख बक्से सेब किसानों से खरीदा. जबकि कुल उत्पादन 11 करोड़ बक्से था.  उस पर नैफेड ने उस सेब को आसपास की मंडियों में सस्ते दाम पर बेचकर सेब के भाव को और गिरा दिया.  उस पर किसानों से कहा गया कि वह अपना माल हाईवे तक लेकर आए इससे किसानों का लागत मूल्य बढ़ गया.  

इसके अलावा केवल कोल्ड स्टोरेज सुविधा की कमी के चलते केवल एक फीसदी सेब को सुरक्षित किया जा सकता है. ऐसे में किसानों की फसल पेड़ों से ही नहीं उतरी . बागवानी विभाग ने किसानों की फसल के 37 फीसदी नुकसान का आकलन किया है. जोकि किसानों ने कहा ठीक नहीं है. इसलिए सर्वे में बागवानी विभाग और रेवन्यू से कराया जाए.

वही इस बात का पता चला है, समिति ने कहा उसके राष्ट्रीय सम्मेलन में  29 और 30 नवंबर को वहां के किसान दिल्ली पहुंचेंगे वह यहां कृषि मंत्री  से मिलकर अपनी समस्याओं के समाधान का आग्रह करेंगे. समिति ने कहा है कि वह पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर किसानों बदहाली से अवगत कराएगी. किसान और केंद्र के मध्य सेतु का काम करके उन्हें न्याय दिलवाया जाएगा. इसलिए किसानों के नुकसान को देखते हुए वह इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग करते हैं.  इसके अलावा किसानों को आपदा रिलीफ फंड से सहायता उपलब्ध कराई जाए और सर्वे कराया जाए. जिससे किसानों के पूरे नुकसान  का आकलन और भरपाई की जानी चाहिए.

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