मंत्री को किसानों और उनके हितों की कोई चिंता नहीं है: संयुक्त किसान मोर्चा
मंत्री को किसानों और उनके हितों की कोई चिंता नहीं है: संयुक्त किसान मोर्चा
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दिल्ली: केंद्र के 3 कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 7 महीने से आंदोलन कर रहे किसानों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र की नई कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे से कहा कि, ''पुरानी धुन गाने से पूर्व खुद पहले किसानों के आंदोलन के बारे में अपडेट करने की जरुरत है।'' बीते शनिवार को किसान मोर्चा ने एक बयान जारी किया जिसमे कहा गया, 'केंद्र सरकार में आई नई कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री किसानों के विरोध, प्रदर्शन करने वाले किसानों तथा 3 काले कानूनों के बारे में एक ही पुराना धुन गा रही हैं। इस आंदोलन के बारे में खुद को अपडेट करने की जरूरत है।'

आप सभी को बता दें कि किसान मोर्चा में शामिल बलबीर सिंह राजेवाल, डॉक्टर दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चारुनी, हन्नान मुल्ला, जगजीत सिंह दल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहन, शिवकुमार शर्मा 'कक्काजी', युद्धवीर सिंह और योगेंद्र यादव की ओर से यह बयान जारी किया गया। हाल ही में किसान मोर्चा ने कहा कि, 'नई कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने किसानों के विरोध और 3 केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने की उनकी मांग के बारे में वही धुन गाना शुरू कर दिया है जो उनके पहले के अन्य लोगों ने गाया है।' इसी के साथ उन्होंने कहा है कि, 'प्रदर्शनकारी किसान नहीं हैं, और यह भी कि किसानों को बेहतर तरीके से कानून के बारे में समझाकर विरोध को खत्म कराया जा सकता है।'

आगे किसान मोर्चा ने यह भी कहा कि, 'यह साफ है कि इससे पहले कि वह कुछ और बयान दें, उन्हें इस आंदोलन को लेकर खुद को अपडेट करने की जरूरत है। नरेंद्र मोदी सरकार अपने ईगो गेम में है उसमें सभी मंत्री एक ही धुन गाने को मजबूर होंगे।'' आगे यह भी कहा गया कि, ''ऐसा लगता है कि मंत्री को किसानों और उनके हितों की कोई चिंता नहीं है। 3 काले कानूनों से किसानों को जिस गहरे संकट में डाला गया है, उसे समझने के बजाय, वह अपनी पार्टी की सरकार के कॉर्पोरेट आकाओं की सेवा कर रही हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कृषि राज्य मंत्री किसानों को राजनीतिक एजेंट और किसानों के लंबे संघर्ष को "राजनीति से प्रेरित" के रूप में देखती हैं। यद्यपि वह एक किसान परिवार से होने का दावा करती है, ऐसा लगता है कि वह भूल गई हैं कि किसान देश के अन्नदाता हैं तथा उनके क्रूर और असंवेदनशील शब्दों व मानसिकता की किसान मोर्चा द्वारा निंदा की जाती है।''

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