गुर्दों को पुष्ट बनाता है खजूर
गुर्दों को पुष्ट बनाता है खजूर
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खजूर का नाम सुनते ही मुंह मे मिठास घुल जाती है। इराक, इटली, चीन, अल्जीरिया, अमेरिका और अरब में खजूर की भरपूर उपज होती है। हमारे देश में पंजाब और सिंध में इसकी खेती  की जाती है। इस फल का वृक्ष 30 से 50 फुट ऊंचा होता है। स्वादिष्ट होने के अलावा खजूर शीतल, स्निग्ध, पित्त तथा कफ नाशक होता है। खजूर तीन प्रकार के होते हैं. खजूर, पिंड खजूर तथा गोस्तन खजूर छुहारा। दरअसल खजूर सूखने पर छुहारा कहलाता है। खजूर एक प्रकार का सस्ता मेवा भी है, इस कारण उसे गरीबों का पाक भी कहते हैं। वैज्ञानिक मतानुसार खजूर में 5 प्रतिशत प्रोटीन, 3 प्रतिशत वसा तथा शर्करा 67 प्रतिशत होते हैं। साथ ही इसमें अल्प मात्रा में कैलशियम, लोहा तथा विटामिन एए बी और सी भी पाए जाते हैं। पूरी तरह से पके हुए खजूर में शर्करा की मात्रा 85 प्रतिशत तक हो जाती है। प्रति 100 ग्राम खजूर के सेवन से 283 कैलोरी ऊर्जा मिलती है।

आयुर्वेद के अनुसार खजूर पौष्टिक, मधुर, हृदय को बल देने वाला, क्षय, रक्त तथा पित्त शोध नाशक होता है। इसके अलावा यह फेफड़े के रोगों को दूर करने वाला मस्तिष्क शामक, नाड़ी बलदायक, वातहर, मानसिक दुर्बलता, कटिशूल, सायटिका तथा मदिरा के विकारों को दूर करता है। दमा, खांसी, बुखार तथा मूत्र संबंधी रोगों में भी खजूर का प्रयोग गुणकारी होता है। यूनानी चिकित्सा में खजूर को उष्ण तथा तर प्रकृति का माना गया है। यह थकावट दूर करने वाला, शरीर को पुष्ट करने वाला तथा गुर्दों की शक्ति बढ़ाने वाला होता है। सर्दी-जुकाम होने पर खजूर को एक गिलासदूध में उबाल कर खा लें फिर ऊपर से वही दूध पीकर मुंह ढंककर सो जाएं। खजूर की गुठली को पानी में घिसकर लेप बनाकर माथे पर लगाने से सिरदर्द दूर होता है।

 

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