खुदीराम बोस बलिदान दिवस आज, कई युवाओं  के प्रेरणास्रोत बने
खुदीराम बोस बलिदान दिवस आज, कई युवाओं के प्रेरणास्रोत बने
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मुजफ्फरपुर :  3 दिसंबर 1889 को जन्मे  शहीद खुदीराम बोस का आज बलिदान दिवस है. दमनकारी जज किंग्सफोर्ड को लक्ष्य कर मुजफ्फरपुर क्लब के सामने किये गए बम विस्फोट के मामले में खुदीराम को 11 अगस्त 1908 को तड़के सेंट्रल जेल में उन्हें फांसी दे दी गई थी. उनके बलिदान को देश कभी नहीं भूल सकता.

उल्लेखनीय है कि वर्ष 1857 में मंगल पांडेय द्वारा शुरू किए सिपाही विद्रोह को अंग्रेजों द्वारा दबा दिए जाने के 50 वर्षों तक छाए इस घोर सन्नाटे को खुदीराम बोस और व प्रफुल्ल चंद्र चाकी ने तोड़ा था. दोनों वीर सपूतों ने अंग्रेजी सरकार काे चुनौती देते हुए 30 अप्रैल 1908 को मुजफ्फरपुर क्लब के सामने बम विस्फोट किया था. हालाँकि यह विस्फोट दमनकारी जज किंग्सफोर्ड को मौत के घाट उतारने के लिए किया गया था. लेकिन इसके शिकार एक अंग्रेज वकील की बेटी व पत्नी हुई थी. बम विस्फोट के इस मामले में खुदीराम को 11 अगस्त 1908 को सुबह सेंट्रल जेल में फांसी दे दी गई थी.

बता दें कि खुदीराम बोस का बलिदान व्यर्थ नहीं गया था.उनकी शहादत के बाद देश में देशभक्ति की लहर उमड़ पड़ी थी .खुदीराम बोस युवाओं के लिए अनुकरणीय हो गए थे. बिहार-बंगाल के युवा व छात्र वही धोती पहनने लगे, जिस पर खुदीराम बोस लिखा होता था. प्रसिद्ध साहित्यकार शिरोल ने अपनी पुस्तक में इसका जिक्र किया है. आज उनके बलिदान दिवस पर नागरिक मोर्चा ने मुजफ्फरपुर रेलवे स्टेशन का नाम खुदीराम नगर व मोकामा स्टेशन का नाम शहीद प्रफुल्ल चंद चाकी के नाम पर करने की मांग की है.

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